हनुमान मंत्र स्तुति
हनुमान मंत्र स्तुति
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==================================श्रीहनुमान महायोगी और साधक हैं। हनुमानजी के चरित्र के ये गुण संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के सूत्रों से ज़िंदगी के लक्ष्यों को पूरा करने की सीख देते हैं। इस संदेश के साथ कि अगर तन, मन और कर्म को दृढ़संकल्प, नियम और अनुशासन से साध लिया जाए तो फिर कोई भी बड़ा या कठिन लक्ष्य पाना बेहद आसान है।
हर दिन असफलता व निराशा को पीछे धकेल, जीवन से जुड़े नए-नए लक्ष्यों को भेदने के लिए हनुमान जयंती या हर रोज भी अगर शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो हर दिन बहुत ही सफल, शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है।
धर्मग्रंथों में बताई इस खास हनुमान मंत्र स्तुति को हनुमान जयंती सहित हनुमान उपासना के खास अवसरों व हर रोज सुबह या रात को भी सोने से पहले स्मरण करना न चूकें
श्री हनुमान जी की स्तुति जिसमें उनके बारह नामों का उल्लेख मिलता है। इन नामों के जप से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यदि हो सके तो श्री हनुमान स्तुति जोर-जोर से करनी चाहिए, ऐसा करने से वातावरण में अमंगलकारी तत्वों का नाश होता है। साथ ही एक और विधान है यदि आप मंगलवार
के दिन इन पूज्य 12 नाम को 41 बार जाप करते है तो यह नाम आपके लिए सिध्ध हो जाते है . जय जय श्री राम !
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
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हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्रीहनुमान के 12 नाम, उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये अद्भुत नाम हैं - हनुमान, अञ्जनीसुत, वायुपुत्र, महाबली, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के साथी, पिङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।
संदर्भ - (आनंद रामायण 8/3/8-11)
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समाप्त
प्रेमाकब्धे रामवल्लभ |
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