घर के मसाले के फायदे
हल्दी के फायदे

हल्दी के फायदे
हल्दी भारतीय भोजन में इस्तेमाल होने वाले मसालों की ही श्रेणी में आती है। यह अदरक की तरह ही जमीन में उगाया जाती है, और सूखने के बाद इसकी जड़ों का ही उपयोग किया जाता है जोकि पीले रंग की होती है। प्राचीन काल से ही हल्दी का सेवन और हल्दी का उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में कई विकारों को दूर करने में किया जाता है। इसलिए हल्दी को तुरंत दर्दनिवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कई सारे गुणकारी तत्वों से युक्त होने के कारण हल्दी बहुत लोकप्रिय है, और लगभग हर घरों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
सर्दियों के मौसम में हल्दी की गांठ का उपयोग सबसे अधिक लाभदायक है और यह समय हल्दी से होने वाले फायदों को कई गुना बढ़ा देता है क्योंकि कच्ची हल्दी में हल्दी पाउडर की तुलना में ज्यादा गुण होते हैं। कच्ची हल्दी के इस्तेमाल के दौरान निकलने वाला रंग हल्दी पाउडर की तुलना में काफी ज्यादा गाढ़ा और पक्का होता है। कच्ची हल्दी, अदरक की तरह दिखाई देती है। इसे जूस में डालकर, दूध में उबालकर, चावल के व्यंजनों में डालकर, अचार के तौर पर, चटनी बनाकर और सूप में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है। हल्दी का प्रयोग आमतौर पर रक्त के रिसाव को रोकने या चोट को ठीक करने के लिए किया जाता है। कई बार हाथ-पैरों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर हल्दी का सेवन दूध में मिलाकर ही किया जाता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, वहीं दूध में मौजूद कैल्शियम हल्दी के साथ मिलकर शरीर को फायदा पहुंचाता है।
हल्दी के औषधीय गुण
हल्दी का सेवन शरीर को सुडौल बनाता है। प्रतिदिन एक गिलास दूध में सुबह के समय आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से शरीर सुडौल हो जाता है। गुनगुने दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा अतिरिक्त फैट धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसमें उपस्थित कैल्शियम और अन्य तत्व वजन कम करने में भी मददगार होते हैं।
हल्दी को चूने में मिलाकर गुम चोट में लगाने से यह दर्द को खींच देती है। इसके अलावा दूध में हल्दी मिलाकर पीने से कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है। इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से राहत मिलती है।
हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन, गठिया- बाय, जकड़न को दूर करता है, साथ ही जोड़ों मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
ब्लड में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाने पर हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।लेकिन अत्यधिक सेवन शुगर को अत्यधिक कम कर सकता है, इस बात का ध्यान रखें।
शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है। हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।
हल्दी में किसी चोट के घाव को तेजी से भरने का भी गुण होता है। यदि आपके चोट लगने पर तेजी से खून बह रहा है, तो आप उस जगह तुरंत हल्दी डाल दें. इससे आपकी चोट का खून बहना कम हो जाएगा। हो सके तो डॉक्टर के यहां पहुंचने से पहले इस पट्टी को न खोलें।
सर्दी, जुकाम या कफ की समस्या होने पर हल्दी मिले दूध का सेवन लाभकारी साबित होता है। इससे सर्दी, जुकाम तो ठीक होता ही है, साथ ही गर्म दूध के सेवन से फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी निकल जाता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
यदि आपको किसी भी कारण से नींद नहीं आ रही है, तो आपके लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है, हल्दी वाला दूध। बस रात को भोजन के बाद सोने के आधे घंटे पहले हल्दी वाला दूध पीएं।
हल्दी वाले दूध का सेवन, आपकी आंतो को स्वस्थ रखकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पेट के अल्सर, डायरिया, अपच, कोलाइटिस एवं बवासीर जैसी समस्याओं में भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है।
दूध में कैल्शियम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, और हल्दी के गुणों के कारण रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे हड्डी संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है, और ऑस्टियोपोरोसिस में कमी आती है।
दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है, और दूध के साथ हल्दी का सेवन, एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरियल होने के कारण त्वचा की समस्याओं जैसे - इंफेक्शन, खुजली, मुंहासे आदि के बैक्टीरिया को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे आपकी त्वचा साफ और स्वस्थ और चमकदार दिखाई देती है।
हल्दी वाले दूध में मौजूद एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुण, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, फेफड़ों में जकड़न व कफ से राहत देने में सहायता करते हैं। गर्म दूध के सेवन से शरीर में गर्मी का संचार होता है जिससे सांस की तकलीफ में आराम मिलता है।
धनिया के फायदे

धनिया के फायदे
धनिया एक जड़ी-बूंटी के रुप में उगने वाला प्राकृतिक पौधा है, इसकी पत्तियों और बीजों का इस्तेमाल हमारे रसोइ घरों में किया जाता है। खाना बनाने के लिए साबुत धनिया, धनिए के बीज, धनिए के पाउडर और धनिए की पत्तियों का काफी इस्तेमाल करते हैं। धनिये का पानी भी सेहत के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुणों के साथ ही बहुत सारे विटामिन और मिनरल भी होते हैं इसलिए धनिया सेहत के लिए उपयोगी होता है। धनिया एक मसाला होने के साथ-साथ एक औधषि भी है।
हरे धनिये की पत्तियां और बीज दोनों ही खाने का स्वाद बढ़ा देते हैं। खाने में भले ही मिर्च-मसाला न हो लेकिन अगर धनिया पत्ती से गार्निशिंग की जाए तो उसकी खूबसूरती और स्वाद में चार चांद लग जाते हैं। धनिया सिर्फ खाने की खूबसूरती और स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसका पानी आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी है। धनिया के पानी में पोटैशियम, कैल्श्यिम, विटामिन सी और मैग्निजियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, और ये सभी तत्व बीमारियों को कोसों दूर रखते हैं।
धनिया के औषधीय गुण
कॉलेस्ट्रोल से छुटकारा: धनिया में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर से कॉलेस्ट्रॉल कम कर उसे कंट्रोल में रखते हैं। अगर किसी को हाई कॉलेस्ट्रॉल की शिकायत है, तो उसे धनिया के बीज उबालकर उस पानी को पीना चाहिए।
डायबिटीज से आराम: धनिये को मधुमेह नाशी यानी कि डायबिटीज को दूर भगाने वाला माना जाता है। इसका पानी पीने से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है।
आंखों के लिए फायदेमंद: धनिया के बीज आंखों के लिए भी फायदेमंद हैं। धनिया के थोड़े से बीज कूट कर पानी में उबालें। इस पानी को ठंडा करके मोटे कपड़े से छान लें, और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाने से जलन, दर्द और पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
वजन कम करने में असरदार: अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो धनिये के बीज का इस्तेमाल करने से फायदा होगा । इसके लिए आप तीन बड़े चम्मच धनिये के बीज एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधे से कम हो जाए तो इसे छान लीजिए। इस पानी को रोजाना दो बार पीने से वजन घटने लगेगा ।
पाचन समस्याएं: धनिया पाउडर में चुटकीभर हींग और काला नमक डालकर पानी के साथ लें। इसका सेवन कब्ज, उल्टी, दस्त, गैस, अपच और पेट दर्द को दूर करता है। आप इसका इस्तेमाल चाय बनाते समय भी कर सकते हैं।
बढ़ाए डाइजेशन: हरा धनिया पेट की समस्याओं को दूर कर पाचनशक्ति बढ़ाता है। धनिये के ताजे पत्तों को छाछ में मिलाकर पीने से बदहजमी, मतली, पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है।
ब्लड शुगर: धनिया पाउडर शरीर में शुगर स्तर को कम करके इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है। इसी वजह से शरीर में ब्लड शुगर निंयत्रित रहता है। इसलिए अपने भोजन में इसका इस्तेमाल जरूर करें।
पेट की जलन: धनिया पाउडर में जीरा, बेलगिरी और नागरमौठा को सामान मात्रा में पीसकर मिलाएं। इस चूर्ण को 1 चम्मच पानी के ले। इससे पेट की जलन और दर्द गायब हो जाएगा।
कमजोरी: रात को धनिया तथा आंवला पाउडर को 10-10 ग्राम पानी में भिगो दें। सुबह इसे पीने पर कमजोरी और चक्कर आने की समस्या दूर हो जाएगी।
मुहांसों का रामबाण इलाज: धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाएं, और कुछ देर बाद धो लें। दिन में दो बार इस लेप का इस्तेमाल करने से बहुत जल्दी मुहांसों और दाग-धब्बों से छुटकारा मिलेगा और चेहरे की सुंदरता भी बढ़ेगी। घमौरियां होने पर धनिया के पानी से नहाना चाहिए।
भगाए पेट की बीमरियां: अगर आपको पेट से संबंधित कोई समस्या है, तो दो कप पानी में धनिये के बीज, जीरा, चाय पत्ती और शक्कर डालकर अच्छे से मिला ले। इस पानी को पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है। पेट में दर्द होने पर आधा गिलास पानी में दो चम्मच धनिया के बीज डालकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
जीरा के फायदे

जीरा के फायदे
जीरा एक ऐसा मसाला है, जो हर भारतीय घर की रसोई की शान है। अकसर सभी लोगों के घर में जीरा होता है, जीरा सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है। सुबह खाली पेट जीरे का सेवन करने से इंसान के शरीर की सभी बीमारियां जड़ से दूर हो जाती हैं। जीरे का पौधा तिन से चार फुट तक का ऊँचा होता है। यह अधिकतर सभी जगह पाया जाता है। इसकी शाखाएं बहुत पतली होती है, इसके फूल सफ़ेद रंग के छोटे-छोटे से होते हैं।
जीरा एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट है, और साथ ही यह सूजन को करने और मांसपेशियों को आराम पहुचांने में मददगार है। इसमें फाइबर भी पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक व मैगनीशियम जैसे मिनरल्स का अच्छा सोर्स भी है। इसमें विटामिन E, A, C और बी-कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी खासी मात्रा में पाए जाते हैं। जो शरीर के विभन्न हिस्सों के लिए काफी फायदेमंद होते है। इन सब के अलावा जीरा में विटामिन्स भी भरपूर होता है।
जीरे के औषधीय गुण
पाचन शक्ति को स्वस्थ्य रखने में मददगार: सही वक्त पर खाना न खाने और खाने के बाद न टहलने के कारण गैस व अपच जैसी समस्या हो जाती हैं। ऐसे में अगर आप अपने आहार में जीरा को शामिल करें, तो पाचन शक्ति में काफी हद तक सुधार हो सकता है। इसलिए, आप एसिडिटी, गैस या अपच होने पर जीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं।
बुखार या सर्दी-जुकाम के लिए: कई बार सर्दी-जुकाम होने पर बार-बार छींक आने या नाक में असहज महसूस होने की शिकायत होती है। इस स्थिति में आप मुट्ठीभर जीरे को भूनकर कपड़े में बांध लें और थोड़ी-थोड़ी देर बाद उसे सूंघते रहें। इसके अलावा, अगर आपको ठंड या बुखार है, तो जीरे के पानी को गुड़ के साथ पी सकते हैं। जीरे की तासीर गर्म होती है, ऐसे में इसके सेवन से आप बुखार से भी बच सकते हैं ।
बढ़ाए इम्युनिटी: जीरे का पानी आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है । आयरन की मौजूदगी में ही इम्यून सिस्टम सही से काम करता है । जीरे के पानी को रोजाना पीने से इम्युनिटी लेवल बढ़ता है और कई बीमारियों भी कोसों दूर रहती हैं। सबसे जरूरी यह वजन को बढ़ने नहीं देता है।
पेट दर्द के लिए: जीरा पेट दर्द, डायरिया, व पेट से जुड़ी अन्य परेशानियों से बचाव कर सकता है। यहां तक कि यह पेट की समस्या से भी राहत दिलाता है। आप जीरे को खाने में मसाले के तौर पर या फिर जीरे का पानी भी पी सकते हैं।
मधुमेह के लिए: जीरा ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है, और शरीर में उचित ब्लड कंटेंट के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए वरदान है।
हार्ट अटैक से बचाता है: जीरा ख़राब कोलेस्ट्रॉल और फैट को शरीर में बनने से रोकता है। इसलिए यह वजन कम करने में मदद करता है साथ ही हार्ट अटैक से भी बचता है।
चर्बी को कम करता है: जीरे में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट चयापचय को बढ़ाता है, जिससे पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए: प्रत्येक व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए आप भोजन में जीरे को शामिल कर सकते हैं। इसमें इम्यूनोमॉडलट्री गुण होते हैं, जिस कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है ।
वजन कम करने के लिए: तला-भूना व जंक फूड खाना और व्यायाम न करना आदि कई कारण हैं, जिससे लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं। जीरा वजन कम कर सकता है। साथ ही यह मेटाबॉलिज्म पर भी असर कर सकता है।
बालों को मजबूत और चमकदार बनाए: रातभर जीरे को पानी में भिगोकर रखकर इस पानी का प्रयोग आप अपने बालों के लिए कर सकते हैं। शैंपू करने के बाद बालों को इस जीरे के पानी से धोने पर, बालों को पोषण मिलेगा साथ ही उनमें चमक भी आती है।
एनीमिया के लिए: एनीमिया से जूझ रहे लोगो को शरीर कमजोर होने लगता है, चक्कर आने लगते हैं। और देखते ही देखते शरीर कई अन्य समस्याओं से घिर जाता है। अगर इस समस्या में आप जीरे का सेवन करेंगे, तो एनीमिया से बचा जा सकता है, क्योंकि जीरे में प्रचुर मात्रा में आयरन होता है। इसलिए, अपने आहार में जीरा शामिल करें।
गठिया के लिए: बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना आम बात है। कई बार यही दर्द आगे चलकर गठिया का रूप ले है। जीरे में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो सूजन से बचाव कर सकता है और गठिया को होने से रोक सकता है। आप जीरे का पानी पिएं, खाने में जीरा शामिल करें या फिर जीरे का तेल लगाएं, यह हर लिहाज से फायदेमंद है।
अदरक के फायदे

अदरक के फायदे
अदरक एक भारतीय मसाला है, जो हर घर में रोजाना इस्तेमाल होता है। इसकी तासीर गर्म होने के कारण इसका अधिकतर सेवन सर्दियों में किया जाता है। इस मौसम में अदरक खाने से खांसी-जुकाम, बलगम जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है। अदरक में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। अदरक खाने से कई फायदे होते हैं। अदरक खाद्य पदार्थ होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि भी है। अगर भोजन में स्वाद का तड़का लगाना हो, तो अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। यह कई बीमारियां का इलाज करने में सक्षम है। यही कारण है कि आयुर्वेद में अदरक विशेष महत्व रखता है।
अदरक में बहुत से पोषक तत्व और एंटीऑक्सिडेंट होते है जो श्र्वशन, मोटापा, गठिया, आदि रोगों दूर करने में लाभकारी होते है। इसके अलावा यह गैस और एसिडिटी को दूर करने में भी मदद करता है अदरक ताजे या सूखे हर प्रकार से उपयोगी होते है। अदरक से हम अपने भोजन को स्वादिष्ट बना सकते है। अदरक के बहुत से स्वास्थ्य लाभ होते है। अदरक में आयरन, कैल्शियम, आयोडीन, क्लोरीन व विटामिन सहित कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही अदरक एक शक्तिशाली एंटीवायरल भी है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। अदरक को ताजा और सूखा दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
अदरक के औषधीय गुण
खांसी में फायदेमंद: अदरक हमेशा से खांसी की बेहतरीन दवा माना जाता है। खांसी आने पर अदरक के छोटे टुकडे को बराबर मात्रा में शहद के साथ गर्म करके दिन में दो बार सेवन कीजिए। इससे खांसी आना बंद हो जाएगा और गले की खराश भी समाप्त होगी।
डायबिटीज: अगर किसी को डायबिटीज है, तो अदरक के सेवन से इंसुलिन और अन्य दवा का असर बढ़ सकता है। ऐसे में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से आपको फायदा हो सकता है।
कोलेस्ट्राल में फायदेमंद: अदरक का प्रयोग हमारे कोलेस्ट्रोल को भी कंट्रोल करता है, इससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है और इसके इस्तेमाल से खून में क्लाट नहीं बनते, साथ ही इसमें एंटी फंगल और कैंसर प्रतिरोधी होने के गुण भी पाए जाते हैं।
सर्दी और जुकाम के लिए रामबाण: सर्दी और जुकाम होने पर अदरक का सेवन आपको आराम पहुंचाता है। सर्दी होने पर अदरक की चाय पीने से फायदा होता है। इसके अलावा अदरक के रस को शहद में मिलाकर गर्म करके पीने से तेजी से लाभ होता है।
इम्यूनिटी बढ़ाए: अगर आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। यह आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। कमजोर इम्यूनिटी के कारण व्यक्ति को बीमारियां जल्दी घेर लेती हैं। जैसे ही इम्यूनिटी कमजोर पड़ने लगती है, बीमारियां सबसे पहले जकड़ लेते हैं। अदरक में एंटीवायरल गुण होते हैं, तो यह ऐसी बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
उच्च रक्तचाप: अगर आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है तो, अदरक आपको फायदा पहुंचा सकता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप अदरक की चाय पी सकते हैं।
अन्य रोगों में: अदरक को दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। अदरक का सेवन करने से गठिया, अर्थराइटिस, साइटिका, गर्दन और रीढ की हड्डियों के रोग के इलाज में किया जा सकता है।
माइग्रेन का इलाज: जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है उनके लिए अदरक रामबाण इलाज है। जब भी माइग्रेन का अटैक आए, तब अदरक की चाय बना कर पीएं। इसको पीने से माइग्रेन में होने वाले दर्द और उल्टी से काफी हद तक राहत मिलेगी।
दिल को रखता है स्वस्थ: अदरक कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने, ब्लड प्रेशर को ठीक रखने, खून को जमने से रोकने का काम करता है। इससे दिल संबंधित बीमारियां भी नहीं होती है। इसलिए अपनी डाइट चार्ट में अदरक को शामिल करें।
पाचन तंत्र मजबूत: अदरक पेट फूलने, कब्ज, गैस, एसीडिटी जैसी समस्याओं को ठीक रखने में भी सहायक है। जिन लोगों को पेट से संबंधित समस्याएं रहती है वह रोजान सुबह खाली पेट अदरक का सेवन करें।
भूख बढ़ाने के लिए: अदरक का नियमित सेवन करने से भूख न लगने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आपको भूख कम लगती हैं, तो अदरक को बारीक काटकर, थोड़ा सा नमक लगाकर दिन में एक बार लगातार आठ दिन तक खाइए। इससे पेट साफ होगा और ज्यादा भूख लगेगी।
हाजमे के लिए: पेट की समस्याओं के लिए अदरक बहुत ही फायदेमंद होता है। यह अपच और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। अदरक को अजवाइन, सेंधा नमक व नींबू का रस मिलाकर खाने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। इससे पेट में गैस नहीं बनती, खट्टी-मीठी डकार आना बंद हो जाती है। साथ ही कब्ज की समस्या से भी निजात मिलती हैं।
त्वचा को आकर्षित बनाने के लिए: अदरक के सेवन से त्वचा आकर्षित और चमकदार बनती है। अगर आप भी अपनी त्वचा को आकर्षित बनाना चाहते हैं तो सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा जरूर खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवां दिखेंगे।
लौंग के फायदे

लौंग के फायदे
लौंग एक सुगंधित फूल की कली होती है। यह दुनिया के अनेक क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह अपने बहुमुखी मसालों और औषधीय गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। लौंग का इस्तेमाल खास तौर पर भारतीय खाने में भरपूर मात्रा में किया जाता है। लौंग सिर्फ खाने का स्वाद और खुश्बू नहीं बढ़ाता बल्कि, यह सेहत के लिए भी गुणकारी है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल तत्व आपको सेहतमंद बनाए रखते हैं। हालांकि लौंग हर मौसम में हर उम्र के व्यक्तियों के लिए लाभदायक है, पर सर्दी के मौसम में इसकी खास उपयोगिता है, क्योंकि इसकी तासीर बहुत गर्म होती है। लौंग के तेल की तासीर काफी गर्म होती है और इस कारण इसे बहुत सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। जब आप अपनी त्वचा पर इसे लगाएं तो सीधे तौर पर बिना किसी चीज़ के साथ मिलाए न लगाएं।
लौंग बीमारियों को भी ठीक करने का काम भी करती है जो आपको लंबे समय से परेशान कर रही हों जैसे, दांतो का दर्द, सांसों की दुर्गंध, गले में खराश वगैरह। लौंग में प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम और सोडियम एसिड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है लौंग कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कारगर है।
लौंग के औषधीय गुण
खांसी और बदबूदार सांसों के इलाज के लिए लौंग बहुत मददगार है। लौंग का नियमित इस्तेमाल इन समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। आप लौंग को अपने खाने में या फिर ऐसे ही सौंफ के साथ खा सकते हैं।
लौंग के इस्तेमाल से बनी चाय से बालों को बहुत फायदा होता है। लौंग की चाय को बाल कलर करने और शैम्पू करने के बाद लगाना चाहिए। इसे ठंडा करने के बाद ही बालों पर इस्तेमाल करना चाहिए। आपके बालों को सुंदर बनाने में यह बहुत मददगार है।
नाक में जलन से राहत दिलाने में लौंग बहुत फायदेमंद है। आप साबुत लौंग को सूंघकर भी इसका फायदा ले सकते हैं। गर्म पानी में रोजाना तीन-चार चम्मच लौंग का तेल मिलाकर पीने से इन्फेक्शन नहीं होता है, और सांस लेना भी आसान हो जाता है।
लौंग आपकी इम्युनिटी बढ़ाकर इन्फेक्शन और सर्दी-जुकाम से आपकी रक्षा करता है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है, जो आपकी स्किन और मजबूत इम्युनिटी सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है।
लौंग गैस्ट्रिक में सुधार लाकर पाचन की प्रक्रिया को सुधारता है। लौंग पेट की कई परेशानियों में फायदा करता है जैसे गैस, जलन, अपच और उल्टी।
ज्यादातर टूथपेस्ट में लौंग एक प्रमुख इंग्रिडेंट होता है। क्योंकि लौंग दांत दर्द में राहत देता है। लौंग में कुछ समय के लिए दर्द को दबाने की ताकत होती है। अगर आपके दांत में तेज दर्द हो तो रूई के फाये में थोड़ा सा लौंग का तेल लगाएं, और फिर जिस दांत में दर्द हो रहा है वहां पर इसे लगाएं। आपको तुरंत राहत मिलेगी।
आयुर्वेद में डायबिटीज के इलाज में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर डायबिटीज के रोगियों को सेहतमंद बनाए रखता है।
सामान्य तौर पर होने वाली सर्दी को लौंग से दुरुस्त किया जा सकता है। आप लौंग के तेल की दस बूंदों को शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार इस्तेमाल करके अपनी सर्दी को ठीक कर सकते हैं।
अगर आप त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे मुंहासों, ब्लैकहेड्स,और व्हाइट हेड्स से परशान हैं तो उपाय लौंग के तेल में छुपा हुआ है। आपको इसको अपने फेसपैक में मिलाकर इस्तेमाल करें क्योंकि यह काफी गर्म होता है और इसको सीधे त्वचा पर नहीं लगाया जा सकता है।
लौंग के तेल को किसी जहरीले कीड़े के काटने पर, कट लग जाने पर, घाव पर और फंगल इंफेशन पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
लौंग से बालों के लिए कंडीशनर भी बनाया जा सकता है। अगर आपके बाल जल्दी-जल्दी उलझ जाते हैं तो लौंग से बना कंडीशनर बहुत असरकारक है।
लौंग का तेल अन्य किसी भी तेल के मुकाबले सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ त्वचा और शरीर् को तंदुरुस्त रखने में बहुत कारगर होते हैं। लौंग के तेल में मिनरल्स जैसे पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन, विटामिन A, और विटामिन C अत्यधिक मात्रा में होते हैं।
हींग के फायदे
हींग के फायदे
हींग के औषधीय गुणों से बहुत कम लोग ही परिचित होते हैं। आमतौर पर इसे भोजन का स्वाद बढ़ाने में ही इस्तेमाल करते हैं। इसके औषधीय गुण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने में हमारी मदद करते हैं। जुकाम, सर्दी, अपच आदि बीमारियों के लिए यह एक अचूक औषधि होती है।
हींग उन मसालों में है जिन्हे हर घर में सुगंध और स्वाद बढ़ाने के लिए भोजन में उपयोग किया जाता है। हींग का उपयोग सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाने में ही नहीं किया जाता, बल्कि हींग में अनेक बीमारियों को दूर करने की क्षमता पाई जाती है और सदियों से हींग का उपयोग पेट से जुड़ी कई समस्याएं जैसे कि पेट दर्द अपच उल्टी जैसे लोगों को ठीक करने मैं किया जाता रहा है। इसके साथ-साथ हींग का उपयोग जलन को ठीक करने में भी किया जाता है। हींग सिर्फ खाने में तड़का लगाने के काम ही नहीं आती है, बल्कि कईं बीमारियों में हींग एक अचूक औषधि का कार्य करती है।
हींग के औषधीय गुण
ब्लड प्रेशर को करता है नियंत्रित: हींग में कोउमारिन नाम का एक पदार्थ मौजूद होता है, जिससे ना केवल खून पतला होता है बल्कि रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।
मधुमेह में मददगार: अगर आप डायबिटिक हैं, तो खाने में हींग का इस्तेमाल ज़रूर करें। इससे डायबिटीज़ नियंत्रित रहती है।
डायबिटीज: हींग के तत्व रक्त में शक्कर की मात्रा कम करने में सहायक होता है। यह पेंक्रियास को अधिक इन्सुलिन का स्राव करने में मदद करता है।
कफ और खांसी: हींग का उपयोग छाती में जमा कफ निकलने में सहायक होता है। इसके लिए हीग के साथ शहद और अदरक का उपयोग बहुत फायदा करता है। हींग प्राकृतिक रूप में बलगम और खांसी को दूर करता है। हींग में शहद मिलाकर खाने से खांसी दूर हो जाती है।
सभी प्रकार के दर्द में राहत: हींग माइग्रेन, दांत के दर्द आदि में भी लाभदायक है। हींग में एंटीऑक्सीडेंट्स और दर्द निवारक तत्व मौजूद होते हैं, जो दर्द को दूर भगाते हैं। इसके अलावा कान के दर्द में नारियल के तेल के साथ हींग मिलाकर डालने से फायदा होता है।
पेट की परेशानियों में उपयोगी: पेट में दर्द, गैस, बदहजमी की समस्या होने पर हींग का लेप नाभि के आस-पास लगाने से या गुनगुने पानी के साथ हींग और अजवाइन खाने से फायदा मिलता है।
कीड़े के काटने पर: मधुमक्खी या ततैया के काटने पर भी हींग लगाने से फायदा होता है। ये दर्द और सूजन को दूर करने में कारगर है।
ह्रदय रोग: हीग में पाया जाने वाला क्यूमेरिन नामक तत्व में खून को पतला करने का गुण होता है। इससे खून का थक्का नहीं बनता। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल व ट्राई ग्लिसराइड को कम करती है। इस प्रकार इसके उपयोग से ह्रदय रोग से बचाव होता है।
स्किन के लिए है फायदेमंद: त्वचा पर होने वाली जलन भी हींग की मदद से दूर की जा सकती है, त्वचा पर लगाने पर हींग अपना ठंडा प्रभाव दिखता है इसलिए कईं स्किन केयर प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
अजवाइन के फायदे

अजवाइन के फायदे
अजवाइन औषधीय गुणों का भंडार है तभी तो रसोईघर के साथ ही आयुर्वेद में भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है। अजवाइन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि यह आपको पेट से जुड़ी की बीमारियों को भी दूर रखने में मदद करता है।अजवाइन की तरह ही अगर इसका पानी रोज सुबह खाली पेट पिया जाए तो यह पूरे शरीर के लिए लाभदायक होता है। अजवाइन के फायदे विशेष रूप से पाचन या पेट संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। अजवाइन का इस्तेमाल कई प्रकार की सामान्य और गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।
अजवाइन के छोटे-छोटे बीजों में ऐसे गुणकारी तत्व मौजूद हैं, जिनसे आप अब तक अंजान हैं। इनडाइजेशन या अपच होने पर अकसर मां हमें गरम पानी और नमक के साथ अजवाइन खाने की हिदायत देती है। यही नहीं अजवाइन सर्दी-जुकाम, बहती नाक और ठंड से निजात पाने की अचूक दवा है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और जलनरोधी तत्व पाए जाते हैं, जो न सिर्फ छाती में जमे कफ से छुटकारा दिलाते हैं, बल्कि सर्दी और साइनस में आराम देते हैं।
अजवाइन के औषधीय गुण
एसिडिटी, अपच और पेट की अन्य समस्यांए: अगर आपको एसिडिटी की समस्या रहती है, तो अजवाइन का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटीएसिड गुण होते हैं, जो एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन में एक चम्मच जीरा और थोड़ा अदरक का पाउडर मिलाकर सेवन करें।
गैस और कब्ज: गैस और कब्ज की समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में अजवाइन आपके लिए असरदार साबित हो सकती है। इसमें थाइमोल की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ता है। इसके अलावा, अजवाइन में रेचक (लैक्सटिव) गुण होते हैं, जिस कारण कब्ज की समस्या दूर होती है।
दिल के लिए फायदेमंद: अजवाइन आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ठीक रखती है, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा, यह सीने के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं।
वजन कम करे: अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो अजवाइन आपको फायदा पहुंचा सकती है। इसके लिए आप रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच अजवाइन पानी के साथ लें। रोजाना इसे लेने से आप एक महीने में तकरीबन चार से पांच किलो वजन कम कर पाएंगे।
अस्थमा: गुनगुने पानी के साथ अजवाइन खाने से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में भी राहत मिलती है। आप दिन में दो बार गुड़ के साथ अजवाइन खा सकते हैं। इसमें एंटीस्पैमोडिक और कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो अस्थमा में राहत पहुंचाते हैं।
सर्दी, फ्लू और वायरल इन्फेक्शन: अगर आपको सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन की समस्या हो, तो अजवाइन प्रभावी असर दिखाती है। सर्दी के कारण बंद हुई नाक में भी अजवाइन फायदा पहुंचाती है। अगर नाक बंद हो, तो गर्म पानी में अजवाइन डालकर भांप लें। आपको राहत महसूस होगी। इसके अलावा, अगर सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन के कारण गले में खराश है, तो हल्दी और अजवाइन को गर्म दूध में मिलाकर लें। इससे आपको आराम मिलेगा ।
मुंह की समस्याएं: अजवाइन मुंह की समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करती है। अगर आपको दांत में दर्द है, तो अजवाइन से राहत मिल सकती है। आप अजवाइन का तेल और लौंग का तेल मिलाकर दांत पर लगाएं, तो इससे दर्द भी कम होगा और मुंह से दुर्गंध भी नहीं आएगी ।
डायरिया: अजवाइन डायरिया से राहत दिलाने में भी मदद करती है। इसके लिए एक गिलास पानी में अजवाइन डालकर उबालें। फिर इस पानी को ठंडा कर दिन में दो बार पिएं ।
जोड़ों में दर्द: अर्थराइटिस और जोड़ों में दर्द के लिए अजवाइन काफी लाभकारी होती है। अगर आपको जोड़ों में दर्द रहता है, तो प्रभावित भाग पर अजवाइन के तेल से मालिश करें। आपको राहत महसूस होगी।
डायबिटीज: डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अजवाइन लाभदायक साबित होती है। इसके लिए आप नीम की पत्तियों को छांव में सुखा लें। इसका पाउडर बनाकर एक डिब्बे में भर लें। रात के समय में गर्म दूध में एक चम्मच नीम और आधा-आधा चम्मच अजवाइन व जीरे का पाउडर डालकर लगातार 30 दिन तक पीने से आपको फायदा हो सकता है।
कान दर्द: कान दर्द की समस्या से राहत दिलाने में अजवाइन खास भूमिका निभाती है। अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। अगर आपको कान दर्द की समस्या ज्यादा है, तो दो चम्मच तिल के तेल में दो चम्मच अजवाइन और एक चम्मच लहसुन डालकर तेल के लाल होने तक गर्म करें। फिर इसे ठंडा करके कुछ बूंदें कान में डालें। यह तेल कान में फुंसी होने पर भी लाभ पहुंचा सकता है।
बड़ी इलायची के फायदे

बड़ी इलायची के फायदे
इलायची में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो हमें कई सारी गंभीर बीमारियों से बचाते है। आमतौर पर इलायची दो तरह की होती है काली और हरी। हरी इलायची का उपयोग जहां पूजा-पाठ और व्यंजनों में किया जाता है, तो वहीं मोटी काली इलायची को मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इलायची एक ऐसा मसाला है जो हर भारतीय की रसोई में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने और खुशबू लाने के लिए किया जाता है। बड़ी इलायची का उपयोग बहुत से व्यंजनों को स्वादिस्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा बड़ी इलायची के बीजों से निकाले गये तेल का उपयोग स्वास्थ्य समस्याओं और कई प्रकार के सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है। बड़ी इलायची के बीज हृदय रोग, रक्तचाप, तव्चा समस्याओं, बालों की समस्याओं आदि के लिए फायदेमंद होते हैं।
बड़ी इलायची खाने से आपको कभी सांस की बीमारी नहीं होगी। अगर आपको अस्थमा, लंग में कोई भी इंफेक्शन है तो बड़ी इलायची का सेवन करने से ठीक हो सकती है। सर्दी खासी में भी इसको खाने से आप हमेशा फिट रहेंगे। अक्सर कुछ लोगों के मुंह से बदबू आने की शिकायत रहती है। उन्हें इस समस्या में बड़ी इलायची को चबाना चहिए। यह ना सिर्फ मुंह के बदबू या यूं कहें गंदी स्मेल को दूर करने का काम करती है बल्कि मुंह के अंदर होने वाली कोई भी इनफेक्शन या घावो को ठीक भी करने का काम करती है।
बड़ी इलायची के औषधीय गुण
दर्द में राहत: बड़ी इलायची खाने से सिरदर्द और थकावट दूर हो जाते है। इसे पीस कर इसमें शहद मिक्स कर लें। इसका सेवन करने से घबराहट, सिरदर्द और थकावट नहीं होगी। इसके अलावा इसे खाने से दांतों, सांसों की दुर्गंध और मसूड़ों की इन्फेक्शन से भी छुटकारा मिलता है।
ब्लड प्रेशर: रोजाना बड़ी इलायची का सेवन करने से ब्लड प्रेशर का समस्यां से छुटकारा मिलता है। ये यूरिनरी हेल्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है। जिसके कारण इसके सेवन से ब्लड प्रेशर और गुर्दें की समस्या दूर हो जाती है।
पाचन तंत्र मजबूत: बड़ी इलायची शरीर में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाती है। जिसके कारण शरीर का पाचन चंत्र मजबूत होता है। इसके अलावा रोजाना इसके सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है। जिससे बैक्टीरिया और वाइरल इंफेक्शन खत्म हो जाते है।
ग्लोईंग स्किन: बडी इलायची आपके त्वचा आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसे खाने से स्किन में ग्लो तो आता है। इसके अलावा इसे खाने से चेहरे पर निकले मुहासे भी ठीक हो जाते है। बड़ी इलायची ढलती त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।
घने बाल: बड़ी इलायची बालों को लंबा, काले, घने बनाने में मदद करती है। रोजाना इसका सेवन करने से बाल झड़ना भी बंद हो जाते है। बड़ी इलायची में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते जो बालों की समस्यां के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
काली मिर्च के फायदे

काली मिर्च के फायदे
काली मिर्च भारत के प्रमुख मसालों में एक है। काली मिर्च जहां खाने मे स्वाद बढ़ाती है वहीं इसका सेवन सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। इतना ही नहीं, रोजाना इसका सेवन दिल को भी स्वस्थ रखता है। दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, और यही पूरे शरीर में ऑक्सीजन रक्त का संचार करता है। ऐसे में अगर दिल स्वस्थ ना हो तो कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है लेकिन अपनी डाइट में काली मिर्च को शामिल करके आप दिल को हेल्दी रख सकते हैं। इससे हृदय बेहतर तरीके से कार्य कर पाता है।
गरम मसाले में इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च के अनेक फायदे होते हैं। काली मिर्च खाने से सर्दी में होने वाली बीमारियां जैसे खांसी, जुकाम में भी राहत मिलती है, इतना ही नहीं काली मिर्च से बाल झड़ना भी कम हो जाते हैं। मसालेदार स्वाद के लिए काली मिर्च को मसालें की रानी के रूप में भी जाना जाता है। काली मिर्च का लाभ केवल मसालें के रूप में नहीं है, बल्कि इसमें विभिन्न औषधीय गुण होते हैं। जिनके लिए इसे पारंपरिक दवा भी कहा जाता है। काली मिर्च मैंगनीज, लोहा, जस्ता, कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन के, विटामिन सी, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों का स्रोत है।
गरम मसालें के औषधीय गुण
खांसी जुकाम में: काली मिर्च इतना फायदा पहुंचाती है, कि खांसी जुकाम से राहत दिलाने वाले कफ सिरप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद और अदरक के रस के साथ चुटकी भर काली मिर्च लेने से कफ कम होता है। चाय में मिला कर पीने से भी फायदा मिलता है। अगर आपको बहुत ज्यादा खांसी हो रही हैं तो 2 काली मिर्च, मुलेठी का टुकड़ा और मिश्री मिलाकर खाली पेट या भोजन के बाद चूसें। इससे आपको खांसी से आराम मिलेगा।
मांसपेशियों का दर्द: काली मिर्च में मौजूद पिपेरीन के कारण रक्तसंचार बढ़ता है। इससे मांसपेशियों के दर्द से निजात मिलता है। तेल को हल्का गर्म कर के उसमें काली मिर्च मिलाएं और पीठ और कंधों की इससे मालिश करें। गठिया रोग में भी काली मिर्च काफी फायदेमंद साबित होती है।
हाजमे के लिए: काली मिर्च के कारण पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड ज्यादा पैदा होता है, जो हाजमे में मददगार होता है। इससे पेट में दर्द, पेट के फूलने और कब्ज में भी राहत मिलती है। अगर आपको एसिडिटी और गैस की समस्या है, तो लाल मिर्च को छोड़ दें और काली मिर्च का इस्तेमाल शुरू करें।
वजन संभाले: एक शोध के मुताबिक काली मिर्च शरीर की वसा को कम करने का भी काम करती है। इससे पाचन प्रक्रिया तेज होती है और कम समय में अधिक कैलोरी खर्च होती है। साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन्स को निकाल बाहर करने में भी मददगार है।
वजन घटाने में मददगार: इसमें फाइटोन्यूट्रीएंट्स नामक तत्व होता है, जो वसा की बाहरी परत तोड़कर शरीर में एक्स्ट्रा चर्बी को जमने से रोकता है।
आंखों की रोशनी: काली मिर्च को शुद्ध घी में मिलाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इतना ही नहीं, इसका सेवन आंखों की बीमारियों को भी दूर रखता है।
पेट के रोगों से छुटकारा: पेट की परेशानियों को दूर करने के लिए भी काली मिर्च का सेवन बहुत ही फायदेमंद है। यह एंटीबैक्टीरियल की तरह काम करती है, जिससे पेट फूलना, अपच, दस्त, कब्ज और अम्लता आदि जैसी परेशानियां दूर हो जाती है।
मजबूत इम्यून सिस्टम: इंफेक्शन व बैक्टीरियल बीमारियों से बचने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है। गर्म पानी के साथ 1/4 चम्मच काली मिर्च पाउडर दिन में 2 बार लेने से इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है।
एसिडिटी से राहत: अगर आपको अक्सर एसिडिटी की शिकायत रहती है तो काली मिर्च पाउडर में प्याज व नींबू का रस मिलाकर खाएं। इससे आपको एसिडिटी से तुरंत राहत मिलेगी।
चेहरे पर निखार: मोटी पिसी काली मिर्च को चीनी और तेल के साथ मिला कर, इसे चेहरा पर मलें। इससे ना केवल चेहरे की गंदगी हटेगी, बल्कि काली मिर्च के कारण रक्तसंचार भी तेज होता है और चेहरे पर निखार आता है।
सुंदर बालों के लिए: अगर आपको रूसी की समस्या है, तो दही में काली मिर्च मिला कर इससे सिर की मालिश करें। आधे घंटे बाद पानी से इसे धो लें। तुरंत शैंपू का इस्तेमाल ना करें। इससे रूसी भी कम होगी और बाल भी चमकेंगे। ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा काली मिर्च ना डालें, नहीं तो जलन होने लगेगी।
दांतों की हिफाजत: मसूड़ों में सूजन और सांस में बदबू की समस्या हो, तो एक चुटकी नमक और एक चुटकी काली मिर्च को पानी में मिला कर इसे मसूड़ों पर मलें। पानी की जगह अगर लौंग का तेल इस्तेमाल करें तो असर और भी जल्द होगा। यानि काली मिर्च का इस्तेमाल करें और मुस्कराहट बरकरार रखें।
गरम मसाले के फायदे

गरम मसाले के फायदे
गरम मसाला भारत में सबसे अधिक प्रचलित मसालों में से एक है। गरम मसाला कई मसालों का मिश्रण से बनता है। जिसमें लौंग, इलाइची, दालचीनी, कालीमिर्च, जायफल आदि होता है। गरम मसाला खाने को स्वादिष्ट बनाने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है। सीमित मात्रा में इसके उपयोग से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। क्योंकि इस मसाले में दस या उससे भी अधिक सूखे मसालों कों मिलाकर बनाया जाता हैं।
गर्म मसाला भारतीय भोजन में मुख्य रुप से प्रयोग किया जाता है यह सब्जियों का स्वाद बढ़ा देता है, और साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। अलग अलग चीजो को मिलाकर गरम मसाला तैयार किया जाता है। जिससे इसमें पाए जाने वाले तत्व के फायदे भी अलग अलग होते है। वैसे गरम मसाले का निशचित मात्रा में सेवन करने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ होता है।
गरम मसाले के औषधीय गुण
पाचन को मजबूत करता है: गरम मसाले में भरपूर मात्रा में आयरन होता है जो खून को ऑक्सीकरण करता है, और पाचन को तो बढ़ाता ही है साथ ही एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाता है। साथ ही इसमें मौजूद धनिया खून में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रित करता है, और रक्त में ब्लड शुगर के लेवल को कम करता है।
कब्ज से छुटकारा दिलाता है: गर्म मसाला एक तरह से शरीर को डिटॉक्सीफाइ करता है, इसलिए ये पाचन तंत्र को तो मजबूत करता ही है। इससे आपको कब्ज जैसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। यह गैस्ट्रिकल ट्रांसिस्ट को बढ़ाता है जिससे आपका पाचन तंत्र सही रहता है और आपको कब्ज नहीं होती।
डायबिटीज को भगाए दूर: गरम मसाले में दालचीनी होती है जो कि ब्लड शुगर को नियंत्रित करके डायबिटीज को खतरे को कम करता है। गर्म मसाले में मौजूद तत्वों के एंटी-ऑक्सीडेंटस, एंटी-इंफ्लेमेंट्री और एंटी-बायोटीक गुण न्यूरोलॉजीकल डिसऑर्डर से बचाता है।
दस्त में: गरम मसाले में जायफल भोजन में स्वाद व खुशबू के लिए डाला जाता है। जायफल बहुत ही थोड़ी मात्रा में गर्म मसाले में प्रयोग किया जाने वाला मसाला है। बच्चों को दस्त, जुकाम व खांसी होने पर जायफल को गर्म पानी में घिसकर चटाया जाता है। इसके फूल जावित्री कहलाते हैं।
कफ से बचाता है: इलायची गर्म मसाले का एक महत्वपूर्ण अंग है, इलायची पाउडर जी की जलन, ब्रोंकाइटिस और कफ आदि से बचाता है, साथ ही शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। क्योंकि इलायची में विटामिन C पर्याप्त मात्रा में होता है। इसलिए इन बीमारियों में भी गर्म मसाला फायदेमंद होता है।
सर्दी, जुकाम, में: सूखे अदरक को सोंठ कहा जाता है। ये रुचिकारक, गठिया नाशक, त्रिदोष नाशक, पाचक, स्वादिष्ट, गर्म, अतिसार, हृदयरोग और उदररोग नाशक है। अदरक की चाय से सर्दी, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, ठीक होता है। सोंठ, जीरा और सेंधा नमक का चूर्ण ताजा दही में, मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद पीने से पुराने अतिसार का मल बंधता है।
आंखों के लिए: गरम मसाले के इस्तेमाल से मोटापा कम करने में मदद मिलती है, आंखों की रोशनी बढ़ाने, पेट के रोगों को दूर करने में सहायक है। यह भूख बढ़ाती है। कालीमिर्च चूर्ण व शहद चाटने से सर्दी, खांसी में लाभ होता है। काली मिर्च शहद में मिलाकर खाने से कमजोर याददाश्त में फायदा होता है।
नमक के फायदे

नमक के फायदे
नमक किचन का राजा होता है। यह एक एक ऐसा मसाला है, जो हर चीज में इस्तेमाल होता है। नमक सोडियम का सबसे अच्छा और सीधा स्त्रोत है। सोडियम खाना पचाने के साथ ही हमारे पाचन तंत्र को भी अच्छा रखता है। नमक का जीवन में बहुत उपयोग है। दाल या सब्जी में नमक ज्यादा हो जाए तो नुकसान और कम हो तो भी नुकसान। नमक हमारी आयु बढ़ाता भी है, और नमक ही आयु घटाता भी है। नमक का उपयोग करना बहुत कम लोग जानते हैं। नमक कई प्रकार के होते हैं: सेंधा नमक (पहाड़ी नमक), समुद्री नमक, काला नमक, सामान्य नमक आदि।
सर्दी के मौसम में होने वाली परेशानी यानि त्वचा में रूखापन, खुजली, दाद-खाज, त्वचा में सफेदी को नमक के उपयोग से खत्म किया जा सकता है। इसके साथ ही शरीर में नमी की कमी के कारण बाल झड़ने, डैंड्रफ आदि की दिक्कत को रोकनें में भी नमक सक्षम हैं। सर्दियों में नमक के पानी से नहाना आपको काफी मदद कर सकता है। सर्दी के मौसम में वैसे भी ज्यादातर लोग गर्म पानी से ही नहाते हैं। शुद्ध रूप में नमक सोडियम और क्लोराइड से बना होता है। हमारा शरीर इन तत्वों को अपने आप नहीं बना सकता है, इसलिए हमें इन्हें अपने आहार से प्राप्त करना होता है। सोडियम और क्लोराइड हमारे शरीर की हर कोशिका के अंदर और बाहर मौजूद अन्य खनिजों के साथ तालमेल बनाकर शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
नमक के औषधीय गुण
सिंक साफ करने के लिए भी नमक का प्रयोग कर सकते हैं ।
कढ़ाही में जले के दाग को साफ करने के लिए भी नमक का इस्तेमाल किया जाता है ।
बर्तनों में लगी जंग को भी नमक से साफ किया जा सकता है ।
कप पर जमे कॉफी या चाय के दाग को नमक से साफ किया जाता है ।
फ्रिज साफ करने के लिए भी नमक का प्रयोग किया जाता है ।
फर्नीचर पर जगे धब्बों को इससे साफ किया जा सकता है ।
बाथटब को नमक से साफ करने पर उसमें जमे धब्बे तो दूर हो ही जाते हैं । साथ ही उसमे मौजूद बैक्टीरिया भी मर जाते हैं ।
अगर आपकी स्किन ऑयली है और आप बार-बार चेहरे पर आने वाली चिपचिपाहट से परेशान रहते हैं। तो ऐसे में नमक वाले गुनगुने पानी से नहाने पर स्किन के डेड स्किन सेल्स निकल जाते हैं।
नमक हमारे खाने का स्वाद बढ़ाने, शारीरिक समस्याओं को दूर करने के अलावा हमारे मानसिक तनाव को भी कम करता है। इसके लिए आपको बस नमक मिले गुनगुने पानी का दिन में 2-3 बार सेवन करना होगा।
नमक में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जिसकी वजह से ये त्वचा की अच्छे से सफाई करता है। अगर नमक को गुनगुने पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाए। तो उससे जहां गले के दर्द में आराम मिलता है, तो वहीं नमक वाले गुनगुने पानी से नहाने पर त्वचा और बाल साफ होते हैं, साथ ही चमक भी आती है।
जोड़ों का दर्द यानि आर्थराइटिस इस गंभीर बीमारी में भी नमक बेहद फायदेमंद होता है। अगर आप नमक मिले गुनगुने पानी से नहाना चाहिए या जोड़ों के दर्द वाली जगह पर सिकाई करने से कुछ ही समय में आराम मिलने लगता है।
किसी चोट लगने या सर्दियों में ठंड की वजह से हाथ और पैरों में आने वाली सूजन और दर्द को भी नमक बहुत तेजी से कम करने में सक्षम होता है। इसके लिए आपको बस नमक वाले हल्के गर्म पानी की सूजन या दर्द वाली जगह की सिकाई करनी होगी।
लाल मिर्च के फायदे

लाल मिर्च के फायदे
लाल मिर्च लगभग हर घर की रसोई में पाया जाता है और भोजन एवं व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह एक तरह से मसाले का कार्य करता है और भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। लाल मिर्च को पोषक तत्वों का पावर हाउस कहा जाता है। यह भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही औषधिक गुणों से भी युक्त होती है। लाल मिर्च कॉपर, मैग्नेशियम, आरयल, मैगनीज और पोटैशियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन k भी पाए जाते है। शरीर में खून की कमी दूर करने, वजन घटाने सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में लाल मिर्च बहुत फायदेमंद होता है।
लाल मिर्च, इसका नाम सुनते ही मुंह में तीखापन सा महसूस होने लगता है। लाल मिर्च खाने में जितनी ज्यादा तीखी होती है उतना ही घर के व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाती है। सब्जियों में इसके ना होने से सब्जी भी स्वादहीन हो जाती है। लाल मिर्च में ऐसे उपयोगी तत्व छिपे होते हैं जो शरीर के मेटॉबालिज्म को बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाते है। यह शरीर में जमने वाले अतिरिकित फैट्स को कम कर वजन को सामान्य रूप प्रदान करने में भी मदद करती है। इसके अलावा यह शरीर की कई बीमारियों को भी दूर करने में मदद करती है।
लाल मिर्च के औषधीय गुण
आंखों में दर्द: यदि आपकी आंखों में दर्द,जलन या लाल होने की शिकायत हो तो लाल मिर्च इस समस्या के लिए जादू के समान उपचार करती है। इसके लिए आपको कुछ करने की ज्यादा आवश्कता नहीं है, ना ही इस उपचार को आंखों पर लगाना है, बल्कि लाल मिर्च के पाऊडर में थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट तैयार कर लें। अब आप अपनी आंखों के दर्द को समझें, यदि दाई आंख में दर्द है तो पैर के दाएं अंगूठे पर और बाई आंख में दर्द है तो पैर के बांए अंगूठे पर इस लेप को लगा लें। 2 घंटे बाद आपकी आंखें बिल्कुल ठीक हो जाएंगी।
एलर्जी जैसे दाद या खुजली: शरीर पर दाद या खाज-खुजली को दूर करने के लिए लाल मिर्च पाउडर काफी अच्छा उपचार है। इसके लिए आप लाल मिर्च के पाउडर को सरसों के तेल साथ गर्म करें, इसके बाद इसे छानकर ठंडा कर लें। ठंडा हो जाने के बाद इसको एलर्जी वाली जगह पर लगाएं जल्द ही आराम मिलेगा।
हड्डी पर कोई चोट: हड्डी पर लगी चोट को दूर करने के लिए आप 125 ग्राम लाल मिर्च पाउडर में, 375 ग्राम सरसों के तेल को मिलाकर उबाल लें, फिर इसे ठंडा हो जाने दें। इसके बाद इस पेस्ट को हड्डी पर लगी चोट पर लगा लें जल्द ही इसके असर से चोट ठीक हो जाएगी।
बुखार में: बुखार को दूर करने में भी लाल मिर्च बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होती है। इसका प्रयोग करने के लिए आप बिना बीज वाली लाल मिर्च के पाउडर में काली मिर्च को समान मात्रा मिला लें। इसमें कुछ नीम की पत्तियों को मिलाकर पीस लें। इसके बाद इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर धूप में सूखा लें। सूख जानें के बाद रोज एक-एक गोलियों का सेवन खाली पेट पानी के साथ करें। शरीर का बुखार एलर्जी जलन जैसी परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी।
खून की कमी दूर करें: लाल मिर्च बीटा कैरोटीन, क्रीप्टोक्सान्थिन, लुटेन -जॉक्सन्थिन फोलिक एसिड जैसे तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो शरीर के खून की कमी को दूर करने में मदद करती है।
बालों को बढ़ने में सहायक: यदि आप अपने बालों के टूटने या गिरने से परेशान हैं, तो अपने खाने में लाल मिर्च का उपयोग जरूर करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होगा, जिससे बालों की ग्रोथ होने में मदद मिलेगी।
पाचन प्रक्रिया ठीक करना: लाल मिर्च के सेवन करते रहने से पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है, इससे पेट संबंधी बीमारी जैसे कब्जियत व गैस में राहत मिलती है।
गठिया के उपचार में: हड्डियों में सूजन और दर्द से संबंधित बिमारी गठिया के उपचार में लाल मिर्च का पेस्ट लगाने या कैप्सूल का सेवन काफी राहत पहुंचाता है। इसकी सहायता से आप जोड़ों के दर्द और सूजन के साथ ही नसों के दर्द में भी राहत महसूस कर सकते हैं।
रक्त प्रवाह बढ़ाने में: लाल मिर्च प्रभावित रक्त के प्रवाह या रक्त के जमने के मामले में भी अत्यंत लाभकारी साबित होता है। लाल मिर्च के सेवन से जमा हुआ रक्त पिघल जाता है जिससे रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है। यह रक्त के माध्यम से पोषक तत्वों के प्रवाह को भी अच्छा करके ख़राब रक्त को प्रभावी ढंग से हटाती है।
वजन घटाने में: लाल मिर्च पाचन प्रक्रिया को बढ़ाकर और भूख लगने की प्रक्रिया को कम करके शरीर को अक्सर साफ करने में मदद करती है। इसके साथ ही इसके सेवन के बाद हम अधिक पानी पीते हैं, जिसके कारण हमारे मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया बढ़ जाती है. यही कारण है कि यह वजन काम करने में भी मदद करती है।
दिल के लिए: हृदय रोगियों को लाल मिर्च के अर्क का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके मसालेदार अर्क के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कम हो जाता है, और फाइब्रिन घुल जाते हैं। जो रक्त के जमने का कारण होते हैं। लाल मिर्च हृदय की गति को बढ़ाती है इसलिए यह हृदय के कार्य को अच्छा करती है।
प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती में: लाल मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं जो संक्रमण और रोगाणुओं से लड़ने में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद करते है। प्रतिरक्षातंत्र की मजबूती में भी लालमिर्च का इस्तेमाल किया जाता है।
जायफल के फायदे

जायफल के फायदे
जायफल एक लोकप्रिय मसाला है, जिससे हम नटमेग के नाम से भी जानते हैं। जायफल के फायदे स्वास्थ्य लाभ से लेकर तव्चा की सुदंरता बढ़ाने तक हैं। जायफल का उपयोग अन्य मसालों जैसे कि दालचीनी, हल्दी, जीरा और तेज पत्ता आदि की तरह ही व्यंजनों को स्वादिस्ट बनाने के लिए किया जाता है। जायफल को आयुर्वेदिक औषधी के रूप में जाना जाता है। यह आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई, त्वचा में निखार लाने, मुंह की समस्याओं और अनिद्रा जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है।
जायफल एक मसाला है, जो जायफल के पेड़ से मिलता है। जायफल के पेड़ से दो मसाले मिलते हैं जायफल और जावित्री। मिरिस्टिका के बीज को जायफल कहा जाता है। वहीं, यह बीज बीजोपांग (यह कुछ पौधों में बीज को ढकता है। आप इसे बीज को ढकने वाला छिलका कह सकते हैं) से ढका होता है, जिसे जावित्री कहते हैं। फिलहाल, इस लेख में हम मुख्य तौर पर जायफल के बारे में बता रहे हैं।
जायफल के औषधीय गुण
सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।
आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये। इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।
जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
फटी एड़ियों के लिए जायफल महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है। पेट भी ठीक रहता है।
जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है, और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।
बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये, और उसके चार हिस्से कर लीजिये। एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं, रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
करी पत्ता के फायदे

करी पत्ता के फायदे
करी पत्ता को कढ़ी पत्ता या मीठी नीम भी कहा जाता है। इसे मीठी नीम इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसके पत्ते नीम की तुलना में थोड़े कम कड़वे, कषैले होते हैं। करी पत्ता के पेड़ पूरे भारत में पाए जाते हैं। करी पत्ता का सबसे ज्यादा उपयोग खानों में ख़ास महक पैदा करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में बताया गया है, कि करी पत्ता के गुण बहुत से हैं। करी पत्ता से कई बीमारियों का इलाज और रोगों से बचाव किया जा सकता है।
भोजन को स्वादिष्ट और उसकी खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है। करी पत्ता आपको हर घर के किचिन में मिल जायेगा, जिसे आप मीठी नीम के नाम से भी जानते हैं। कढ़ी पत्ते का उपयोग सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है |कढ़ी पत्ते का उपयोग आप बाल टूटने से बचाने वजन कम करने और शुगर को कंट्रोल करने में कर सकते हैं, कढ़ी पत्ते की प्रकति ठंडी (शीतल) होती है। मीठी नींम एक प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसका प्रयोग सब्जी में तड़का लगाने के साथ साथ चटनी बनाने मैं भी किया जाता है। कड़ी पत्ते में कैल्शियम, फास्फोरस, लोह, प्रोटीन और विटामिन A, B और C पाए जाते हैं। कढ़ी पत्ता पाचन संबंधी विकारों में बहुत उपयोगी माना जाता है।
करी पत्ता के लिए औषधीय गुण
वजन घटाने में: कढ़ी पत्ते में डाइक्लोरोमेथेन, एथिल एसीटेट और महानिम्बाइन जैसे खास तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों में वजन घटाने, कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ट्राइग्लिसराइड (फैट का एक प्रकार) के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता पाई जाती है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है, कि कढ़ी पत्ते का उपयोग वजन घटाने में मददगार साबित होता है।
एनीमिया में लाभदायक: कढ़ी पत्ते में एंटी एनीमिया गुण पाया जाता है, जो एनीमिया पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है। इसके अलावा कड़ी पत्ता कैल्सियम आयरन, जिंक और वैनेडियम जैसे खनिज पदार्थों का अच्छा स्रोत है। इस कारण कहा जा सकता है कि एनीमिया से निजात दिलाने में कढ़ी पत्ते का उपयोग सहायक साबित हो सकता है ।
डायबिटीज में मददगार: कढ़ी पत्ते में हाइपोग्लाइसेमिक (शुगर लेवल को कम करना) गुण पाए जाते हैं। यह गुण शरीर में शुगर की मात्रा को कम करने में सहायक साबित होता है। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि नियमित आहार में करी पत्ता के लाभ डायबिटीज जैसे जोखिमों को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं ।
लिवर के लिए: कढ़ी पत्ते में टैनिन और कारबाजोले एल्कलॉइड जैसे तत्व मौजूद होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन तत्वों में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो लिवर की कार्यक्षमता को बढाते हैं। साथ ही उससे संबंधित हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसे जोखिमों को कम करने में भी सहायक होते हैं।
दिल का रखे ख्याल: कढ़ी पत्ता एक हर्बल औषधि है, जो विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज लिए करी पत्ते का उपयोग एक मददगार आयुर्वेदिक औषधि के रूप में लंबे समय से होता आया है। इसके अलावा करी पत्ता कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम भी करता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है।
डायरिया से बचाव: कढ़ी पत्ते में पाए जाने वाले कार्बाजोले एल्कलॉइड्स में डायरिया से बचाव करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है, कि इसका नियमित सेवन डायरिया जैसी समस्या से निजात पाने में कारगर साबित हो सकता है।
कोलेस्ट्रोल का नियंत्रण: कढ़ी पत्ते में विटामिन C के साथ एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लामेट्री गुण मौजूद होते हैं। वहीं इस संबंध में किये गए एक शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि कढ़ी पत्ते का उपयोग शरीर से बैड केलेस्ट्रोल की मात्रा को घटाने में सहायक सिद्ध होता है।
संक्रमण से बचाव में: कढ़ी पत्ते के तेल में पाए जाने वाले कुछ खास पोषक तत्वों में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण भी पाए जाते हैं। इसमें पाए जाने वाले यही गुण बैक्टीरिया और फंगल प्रभाव को कम करने में लाभकारी परिणाम देते हैं । इसलिए कहा जा सकता है, कि करी पत्ता के फायदे में संक्रमण से बचाव भी शामिल है।
त्वचा के लिए लाभदायक: कढ़ी पत्ते का प्रयोग त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है। माना जाता है कि इसके तेल में मौजूद तत्वों में कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं, जिनके प्रभाव से जले-कटे और बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर करने में मदद मिलती है। इसके लिए इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
बालों का रखे खास ख्याल: कढ़ी पत्ते के तेल में पाए जाने वाले पोषक तत्व बालों के लिए भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। कढ़ी पत्ते का तेल बालों पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। इसका नियमित इस्तेमाल बालों के विकास में मदद करता है। वहीं, करी पत्ता के फायदे में भूरे बालों की समस्या से छुटकारा भी शामिल है।
दालचीनी के फायदे

दालचीनी के फायदे
दालचीनी ऐसा मसाला है, जो लगभग हर भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाएगा। दालचीनी सिर्फ़ एक मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है, जिसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण कई बीमारियों जैसे – आर्थराइटिस, डायबिटीज़, जैसी बीमारी से आपको सुरक्षित रखता है। दालचीनी का पेड हमेशा हराभरा तथा छोटी झाड़ी जैसा होता है। उसके तने की छाल चुनकर सुखाई जाती है। उनका आकार कवेलू जैसा गोलाकार, जाडा, मुलायम तथा भुरे लाल रंग का होता है। दालचीनी के पेड़ से हमेशा सुगंध आती है। इसका उपयोग मसालो और दवा के तौर पर किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जा सकता है। दालचीनी के पेड़ को पत्तों का उपयोग खाने में मसाले की तरह किया जाता है। इन्हे तेजपत्ता भी कहा जाता है। दालचीनी का पौधा जितना छोटा है इसके गुण उतने ही बड़े हैं। दालचीनी की सूखी पत्तियां तथा छाल को मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी छाल थोड़ी मोटी, चिकनी तथा हल्के भूरे रंग की होती है। दालचीनी मोटापा कम करने के साथ-साथ कई बीमारियों को भी दूर करता है। यह रक्तशोधक भी है। शहद तथा दालचीनी को मिलाकर दिल की बीमारियों, कोलेस्ट्रॉल, त्वचा रोग, सर्दी जुकाम, पेट की बीमारियों के लिए फायदेमंद है।
दालचीनी के औषधीय गुण
सर्दी जुकाम के लिए: सर्दी-जुकाम होने पर दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए। एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर सुबह-शाम लेने से खांसी-जुकाम में आराम मिलता है। हल्के गर्म पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर तथा एक चुटकी पिसी काली मिर्च शहद में मिलाकर पीने से जुकाम तथा गले की खराश दूर होती है। इसके पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाने से ठंडी हवा से होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द के लिए: जोड़ो के दर्द को कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कीजिए। हल्के गर्म पानी में दालचीनी पाउडर और थोड़े से शहद को मिलाकर शरीर में दर्द वाले अंग पर लगाकर हल्के हाथों से मालिश करने से फायदा होता है। एक कप हल्के गर्म पानी में एक चम्मच शहद और आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से भी जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
पेट की समस्या: अपच जैसी पेट की समस्या होने पर दालचीनी का प्रयोग करने से आराम मिलता है। इसके अलावा दालचीनी के प्रयोग से उलटी तथा दस्त में आराम मिलता है। एक चम्मच शहद के साथ थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर लेने से पेट दर्द और एसिडिटी में आराम मिलता है तथा भोजन भी आसानी से पच जाता है और पेट की समस्या नहीं होती।
त्वचा के रोगों में फायदेमंद: त्वचा की समस्या होने पर भी दालचीनी बहुत फायदेमंद है। त्वचा में खाज और खुजली होने पर दालचीनी पाउडर तथा शहद बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा की यह समस्या दूर होती है। दालचीनी के पाउडर में थोड़ा सा नीबूं का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे दूर होते हैं।
दिल के मरीजों के लिए: शहद और दालचीनी के पाउडर का पेस्ट बनाकर रोटी के साथ खाने से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा नहीं होगा और दिल के दौरे की संभावना को कम किया जा सकता है। जिन लोगों को पहले भी हार्ट अटैक दौरा पड़ चुका है वे अगर इस उपचार को करेंगे तो भविष्य में हार्ट अटैक की संभावना को कम कर सकेंगे।
बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल: बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कीजिए। दालचीनी के दो बड़े चम्मच शहद और तीन चम्मच दालचीनी पावडर को हल्के गरम आधा लीटर पानी में मिलाकर लें। इससे सिर्फ 2 घंटे में खून का कोलेस्ट्रॉल का स्तर 10 प्रतिशत तक नीचे आ जाता है, और दिन में इसे तीन बार लेते रहने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।
अन्य बीमारियों के लिए: एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर दांतों पर नियमित दो-तीन बार मलने से दांत दर्द में आराम मिलता है। तनाव होने पर शहद के साथ जरा सा पाउडर मिलाकर लेते रहने से आराम मिलता है और स्मरण शक्ति भी तेज होती है। यह अस्थमा तथा लकवा में भी बहुत फायदेमंद है।
मोटापे के लिए: मोटे लोगों को भी दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए। चाय में एक चम्मच दाल चीनी पाउडर मिलाकर एक गिलास जल में उबालें, फिर इसे उतारकर इसमें दो बड़े चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ते से लगभग आधा घंटा पहले पियें। ऐसा रात को सोने के पहले करें। नियमित ऐसा करने से शरीर की अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है और अधिक केलोरी वाला भोजन लेने पर भी शरीर में चर्बी नहीं बढ़ती और वजन कम होता है।
बहरापन दूर करें: शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति बढ़ती है। कान से कम सुनाई देने की समस्या होने पर कान में दालचीनी के तेल की कुछ बूंदें डालने से आराम मिलता है।
मेथी के फायदे

मेथी के फायदे
मेथी सामान्य मसालों की तरह उपयोग की जाने वाली एक आयुर्वेदिक औषधी होती है। मेथी पाचन क्रिया के लिए लाभकारी होती है। इसका प्रयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए दवाओं को बनाने में पूरक के रूप में किया जाता है। डायबिटीज, मोटापा, पेट की सूजन जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए यह असरदार होती है। मेथी में बहुत से एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन होते है जो हमारे स्वास्थ्य पर अच्छे प्रभाव के लिए जाने जाते है। मेथी को एक कीट प्रतिरोधक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें नाइट्रोजन, और पोटेशियम अच्छी मात्रा में होते है।
मेथी वर्ष में एक बार फलने बाला औषधीय पौधा है, जिसमें छोटे- छोटे सफेद फूल आते है यह मटर परिवार का है। मेथी का स्वाद कुछ कड़वा सा होता है जैसे अजवाइन, या जली हुई चीनी के समान। इसका उपयोग मसालों के रूप में भी किया जाता है। यह सूजन को ठीक करने में मददगार होता है। औद्योगिक रूप से मेथी का उपयोग मेथी अर्क, साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। मेथी और मेथी के तेल में एंटीमाइक्रोबायल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडाइबेटिक और एंटीट्यूमोरिजेनिक गुण होते है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है।
मेथी के औषधीय गुण
डायबिटीज़ के लिए: डायबिटीज़ में मेथी भी काफी फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व डायबिटीज़ में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इसके लिए एक चम्मच मेथी दाने को एक ग्लास पानी में रात भर के लिए ढककर रख दें। सुबह इसे छानकर खाली पेट पिएं। रोज़ाना इसका सेवन करने से डायबिटीज़ कंट्रोल में रहेगी।
कब्ज के लिए: अगर आपको कब्ज की शिकायत है तो मेथी का पानी से इस समस्या में भी राहत मिल सकती है। दरअसल मेथी के बीजों में घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो कब्ज में फायदेमंद होता है। ये प्राकृतिक रूप से आपका पेट साफ करते हैं और कब्ज से मुक्ति दिलाते हैं। इसके लिए रात को सोने से पहले एक ग्लास पानी में मेथी पाउडर मिलकर पिए। सुबह आपको कब्ज की समस्या से राहत मिल जाएगी।
ब्लड प्रेशर के लिए: जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से परेशान हैं उनके लिए भीगी मेथी बहुत फायदेमंद होती है। रात में सोया और मेथी को पानी में भिगोकर रखें और अगले दिन पांच ग्राम सुबह और शाम इसे लेना चाहिए। इससे रक्त का संचार ठीक होगा और ब्लड प्रेशर में भी राहत मिलेगी।
वजन घटाने मे: भीगी मेथी बहुत जल्दी वजन घटाने का काम करती है। अगर आप सुबह के समय रात में भिगोए गए मेथी के पानी का सेवन करते हैं तो इससे वजन तो घटेगा ही साथ आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं लगेगी।
हड्डियों की समस्या में राहत: मेथी के दाने हड्डियों की समस्या में भी राहत देते हैं। रात में दाने भिगोकर रखने से इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं, इसलिए कोशिश करें कि इसे भिगोने के बाद ही खाएं।
शुगर होती है कंट्रोल: मेथी के दानों में मौजूद सॉल्यूबल फाइबर्स ब्लड शुगर को कंट्रोल करके डायबीटीज को नियंत्रित करता है।
त्वचा और बालों के लिए है: अगर आपको मुंहासों की समस्या है और आपको हेयरफॉल भी हो रहा है तो बालों में मेथी के दानों को भिगोकर इसका पेस्ट लगाएं। इससे बाल मजबूत बनेंगे और जल्दी सफेद भी नहीं होंगे।
दिल के लिए: मेथी के बीजों में पाए जाने वाले पोषक तत्व आपके दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने में काफी फायदेमंद होते है। ये ह्रदय के रक्त प्रवाह को नियमित कर उसे स्वस्थ बनाता है, और ह्रदय रोग को भी कम करता है। इसका सेवन करने के लिए एक ग्लास में एक चम्मच मेथी के दानें डालें, अब उन्हें उबाल कर छान लें और अपने स्वादानुसार उसमें शहद मिला लें। शहद मिलाने से मेथी की पानी की कड़वाहट थोड़ी कम हो जाएगी और ये पीने में आसान रहेगा। इसे रोज़ पीने से आपको जरूर फायदा मिलेगा।
राई के फायदे
राई के फायदे
राई की गिनती सरसों की जाति में होती है। इसका दाना छोटा व काला होता है। छोटी-छोटी गोल-गोल राई लाल और काले दानों में अक्सर मिलती है। विदेशों में सफेद रंग की राई भी मिलती हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। राई ग्रीष्म ऋतु में पककर तैयार होती है। राई के बीजों का तेल भी निकाला जाता है।
राई के कई फायदे होते है यह एक गुणकारी मसाला है। इसमें भी काफी औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका लगभग सभी तरह के आचारो को बनाने में प्रयोग किया जाता है यह रसोई की शान तो है ही, साथ ही अनेक रोगों को भी भगाती है। बतौर औषधि इसके द्वारा कई रोगों को दूर रखा जा सकता हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। इसके छोटे-छोटे दाने होते हैं, जो कि गहरे लाल होते हैं। इसका सेवन मसाले के रूप में होता है। इसके अन्दर तेल का अंश भी काफी मात्रा में होता है, जो कि सभी जगह उपलब्ध होता है और इसे खाना बनाने में प्रयोग करते हैं। इसका स्वाद चरपरा और कुछ कड़वाहट लिये हुए होता है। इसकी तासीर गरम होती है, इसीलिए यह पाचक अग्नि को बढ़ाती है, यह रुचिकर होती है। कुछ लोग सरसों तथा राई को एक ही मानते हैं, लेकिन सच यह है कि ये दोनों एक नहीं है। आमतौर पर लोग राई या राई के तेल का प्रयोग केवल आहार के लिए करते हैं।
राई के औषधीय गुण
राई का पानी तो हमारे पेट के लिए बेहद फ़ायदेमंद रहता है। जिन्हें सांस की बीमारी हो, दमा तंग करता हो, जरा-सा चलने से साँस फूलता हो, उसे राई की चाय पिलाएँ।
यदि पेटदर्द से पीड़ित हों या जुकाम से परेशान, इन सब बिमारियों में राई के लाभ होते है |
यदि जुकाम हो तो राई को थोड़ा पीसकर शहद में मिलाएँ। इस राई मिले शहद को जुकाम का रोगी सूंघे तथा एक चम्मच खा भी ले। हर चार घंटे बाद ऐसी खुराक सूंघे व खाए। जुकाम नहीं रहेगा।
घबराहट के साथ आप बेचैनी और कंपन महसूस कर रहे हैं, तो अपने हाथों और पैरों में राई के पेस्ट को मलने से आपको आराम मिलेगा |
बच्चों के पेट में अफारा होने पर राई का लेप नाभि के चारों तरफ करना चाहिए।
यदि दांतों में दर्द हो तो राई को गरम पानी में मिलाकर कुल्ले करने चाहिएं।
पेट में तेज़ दर्द होने पर राई का लेप करने से लाभ होता है। जब कोई चीज पचती न हो और भयंकर बदहजमी हो तो आधा चम्मच राई का चूर्ण पानी में घोलकर पीने से लाभ होता है।
राई की तासीर गर्म होती है इस वजह से रक्तपित्त, रक्तवात, खूनी बवासीर, शरीर में जलन, चक्कर आना, ब्लडप्रेशर बढ़ जाने पर राई के सेवन से बचना चाहिए।
हैजे के रोगी को जब उल्टियां और दस्त हो रहे हों और बहुत परेशानी हो, घर में किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध न हो तो उस समय पेट पर राई का लेप करना लाभदायक सिद्ध होता है।
बदहजमी अथवा किसी अन्य कारण से जब हिचकियां आती हैं, तो पानी के साथ चुटकी भर नमक और राई देने से लाभ होता है।
अपचन रोग खाते हैं तो पचता नहीं। कभी खट्टी डकार है तो कभी गैस बनती है। ऐसी अवस्था में एक चौथाई चम्मच राई का पिसा चूर्ण लेकर आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें। अपचन की शिकायत नहीं रहेगी।
राई और सरसों का तेल भी निकाला जाता है। राई के तेल को गठिये की सूजन अथवा दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है। लकवे के रोगियों को भी राई के तेल की मालिश की जाती है। मालिश के बाद शरीर के अंग को कपड़े से ढक देना चाहिए।
जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत हमेशा रहती है, कांजी उन्हें पेट साफ करने में मदद करती है। यदि इसका सेवन भोजन के पहले किया जाए तो यह भूख बढ़ाती है और आहार में रुचि पैदा करती है। भोजन के बाद राई के दानो से बनी इस कांजी का सेवन
केसर के फायदे

केसर के फायदे
केसर एक लोकप्रिय मसाला है, जिसे क्रोकस सैटाइवस नाम के फूल से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम भी क्रोकस सैटाइवस है और इसका इस्तेमाल एक मसाले और कलर एजेंट के रूप में किया जाता है। यह दिखने में छोटे-छोटे धागों जैसा होता है। भारत के विभिन्न भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे हिंदी में केसर, बंगाली में जाफरान, तमिल में कुमकुमापू, तेलुगु में कुमकुमा पुब्बा और अरबी भाषा में जाफरान आदि।
केसर की गिनती दुनिया के सबसे महंगे मसालों में की जाती है। इसका आकर्षक रंग और खुशबू इसे सबसे अलग बनाती है। इसका इस्तेमाल दूध या दूध से बने पकवानों में ज्यादा किया जाता है। आपको जानकर हैरान होगी कि केसर को जायके के अलावा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इस लेख में हम आपको केसर के विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं। जानिए केसर किस प्रकार आपको स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकता है।
केसर के औषधीय गुण
गठिया का इलाज: अर्थराइटिस जैसे हड्डी रोगों के लिए केसर खाने के फायदे देखे जा सकते हैं। केसर क्रोसेटिन नामक एक खास तत्व से समृद्ध होता है, जो गठिया के इलाज में मदद कर सकता है।
आंखों की रोशनी में सुधार: केसर के फायदे में आंखों की रोशनी में सुधार होना भी शामिल है। केसर एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होता है, जो एएमडी (बढ़ती उम्र से जुड़ा नेत्र रोग) पर प्रभावी असर दिखा सकता है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण रेटिना स्ट्रेस से छुटकारा दिलाने का काम भी कर सकते हैं।
अनिद्रा: केसर के गुण में अनिद्रा से छुटकारा भी शामिल है। यह युवाओं में अवसाद को कम कर सकता है, जिससे एक अच्छी नींद लेने में मदद मिल सकती है।
पाचन को बढ़ावा: केसर अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के माध्यम से पाचन को बढ़ावा देने और पाचन विकारों के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह पेप्टिक अल्सर और अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज में भी फायदा दिखा सकता है।
हृदय स्वास्थ्य: केसर के फायदे में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी शामिल है, जो आर्टरी और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। केसर के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण हृदय पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। केसर राइबोफ्लेविन का एक बड़ा स्त्रोत माना जाता है, जो हृदय के लिए महत्वपूर्ण विटामिन के रूप में काम करता है।
लिवर स्वास्थ्य: लीवर मेटास्टेसिस से पीड़ित रोगियों पर केसर अपना सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। लीवर के खराब होने पर केसर उसे सुरक्षा प्रदान कर सकता है। यह लीवर विषाक्तता (टॉक्सिसिटी) के उपचार में भी मददगार साबित हो सकता है।
अस्थमा का इलाज: सांस संबंधी समस्याओं के लिए केसर का उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।
चमकदार त्वचा: त्वचा को चमकदार बनाने के लिए भी केसर आपकी मदद कर सकता है। यह विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है, जो त्वचा को सूर्य की तेज किरणों और मुक्त कणों से दूर रखने का काम करता है। जिससे त्वचा की प्राकृतिक चमक बनी रहती है।
मुंहासे और दाग धब्बों का इलाज: केसर में एक खास तत्व क्रोसेटिनसे समृद्ध होता है। इसके अलावा केसर में मौजूद विटामिन सी चेहरे को मुक्त कणों और सूर्य की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से दूर रखता है, जिससे त्वचा को दाग धब्बों से बचाया जा सकता है।
मुलेठी के फायदे

मुलेठी के फायदे
मुलेठी एक गुणकारी जड़ी बूटी है। आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम पाने के लिए करते हैं। गले की खराश में इसका उपयोग करना सबसे ज्यादा असरदार होता है। हालांकि मुलेठी के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं हैं बल्कि इसका मुख्य इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है। मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। आमतौर पर इसी पौधे के तने को छाल सहित सुखाकर उसका उपयोग किया जाता है। इसके तने में कई औषधीय गुण होते हैं। इसका स्वाद मीठा होता है। यह दांतों, मसूड़ों और गले के लिए बहुत फायदेमंद है। इसी वजह से आज के समय में कई टूथपेस्ट में मुलेठी का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेदिक औषधि गुणों से भरपूर मुलेठी का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल श्वसन और पाचन क्रिया के रोग की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सर्दी में होने वाली समस्याएं जैसे सर्दी-खांसी, जुकाम, कफ, गले और यूरिन इंफैक्शन की प्रॉब्लम को भी यह जड़ से खत्म कर देता है। इसका सेवन कैंसर जैसी कई बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। तो चलिए जानते है आयुर्वेदिक औषधि गुणों से भरपूर मुलेठी का सेवन किन बीमारियों को दूर कर सकता है।
मुलेठी के औषधीय गुण
माइग्रेन के दर्द: माइग्रेन के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको मुलेठी का उपयोग करना चाहिये। मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर इसे नेजल ड्राप की तरह नाक में डालें। इससे माइग्रेन के दर्द से आराम मिलता है।
खांसी या सूखी खांसी में: मुलेठी मुंह में रखकर देर तक चूसते रहने से खांसी से आराम मिलता है। अगर आपको सूखी खांसी है, तो एक चम्मच मुलेठी को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटकर खाएं। इसी तरह मुलेठी का काढ़ा बनाकर 20-25 मिली मात्रा का सुबह और शाम को सेवन करने से मुलेठी का पूरा फायदा मिलता है।
गला बैठने के इलाज में लाभदायक: कभी कभी गले में संक्रमण की वजह से गला बैठ जाता है, और ऐसी हालत में आवाज भारी हो जाती है, या आवाज नहीं निकलती है। मुलेठी को मुंह में लेकर चूसते रहने से गला बैठने की समस्या में आराम मिलता है। मुलेठी चूसने से गले के कई अन्य रोगों में भी जल्दी फायदा मिलता है।
मुंह के रोगों के लिए: मुंह के छालों की परेशानी के दौरान मुलेठी के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है। मुलेठी को चूसने से खांसी और गले का रोग भी दूर होता है। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को शहद के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 मिली काढ़ा शाम को पीने से श्वास नलिका साफ हो जाती है। मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है।
कान और नाक की बीमारियों के लिए: मुलेठी कान और नाक के रोग में भी लाभकारी है। मुलेठी और मुनक्का से पकाए हुए दूध को कान में डालने से कान की बीमारियों में लाभ होता है। 3-3 ग्राम मुलेठी और शुंडी में छह छोटी इलायची, 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, काढ़ा बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नाक के रोगों में आराम मिलता है।
दिल के रोगों के लिए: मुलेठी दिल के रोग में भी लाभकारी है। 3-5 ग्राम तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त जल के साथ प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है। इसके सेवन से पेट के रोग में भी आराम मिलता है।
पेट दर्द से आराम: गलत खानपान या खायी हुई चीज ठीक से ना पचने के कारण पेट में ऐंठन और दर्द होने लगता है। इससे आराम पाने के लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे पेट और आंतों की ऐंठन एवं दर्द से राहत मिलती है।
त्वचा रोगों के लिए: त्वचा रोग भी यह लाभकारी है। पिंपल्स पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। मुलेठी और तिल को पीसकर उससे घी मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है।
बाल बढ़ाने में: मुलेठी का उपयोग बालों को सही पोषण देने और बढ़ाने में भी किया जाता है। मुलेठी के क्वाथ पाउडर से बालों को धोने से बालों तेजी से बढ़ते हैं। इसी तरह मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
आंखों के रोगों में: मुलेठी के काढे से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। मुलेठी चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच शाम को खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखों री रोशनी भी बढ़ती है। मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों के आसपास लालपन मिट जाता है।
कलौंजी के फायदे
कलौंजी के फायदे
कलौंजी एक मसाले के रूप में हमारी रसोई में उपलब्ध रहता है। इसे ब्लैक सीड़ या काले जीरे के नाम से भी जाना जाता है। यह आयुर्वेदिक दवा के समान होती है जो शुगर, रक्तवसा, मोटापा आदि कारकों के लिए महत्वपूर्ण और फायदेमंद होता है। कलौंजी को लोग मंगरैला या फिर प्याज के बीज के रूप में भी जानते हैं। यह लगभग सभी भारतीय घरों के किचन में कलौंजी पाई जाती है। कलौंजी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में लाभकारी है। इसे कई घरेलू उपचारों में आज भी गांवों में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद में भी कलौंजी को एक बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी माना गया है। यह खांसी से लेकर डायबिटीज तक में फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम, पोटैशियम, लोहा, मैग्नीशियम व जिंक कई तरह की स्वास्थ्य समस्यों से लड़ने में कारगर हैं। साबुत कलौंजी के साथ ही इसका तेल भी बहुत लाभकारी होता है। बहुत सारे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ होने के कारण कलौंजी या काला जीरा हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन A, विटामिन B, विटामिन B2, नियासिन और विटामिन C जैसे तत्व अच्छी मात्रा में होते है। साथ ही इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, जिंक, मैग्नीशियम और सेलेनियम जैसे खनिज भरपूर होते है जो इसे हमारे लिए लाभकारी बनाते है।
कलौंजी के औषधीय गुण
ब्लड शुगर नियंत्रित: कलौंजी ब्लड शुग लेवल को नियमित करने में मददगार है। डायबिटीज के मरीज अगर अपने आहार में कलौंजी का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खाली पेट ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है।
डायबिटीज रखे कंट्रोल: 1 कप काली चाय बनाकर, उसमें आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाएं। सुबह और रात में सोने से पहले इसे पिएं। डायबिटीज से बचाव होगा और जिन्हें यह बीमारी है, वो इस पर काबू पा सकेंगे।
हार्ट डिजीज की समस्या: जब भी कोई गर्म पेय लें, तो उसमें एक चम्मच मंगरैला का तेल मिला लें। तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। लगातार एक महीने तक ऐसा करने से आराम मिलता है।
वजन घटाए: कलौंजी का सेवन करें। ½ चम्मच कलौंजी के तेल में 2 चम्मच शहद मिला कर इसे हल्के गर्म पानी के साथ पिएं। इस मिश्रण को दिन में तीन बार लें। वजन कम होने लगेगा।
पेट के कीड़े का करे सफाया: पेट में कीड़े हो गए हैं, तो कलौंजी का सेवन तीन-चार दिनों तक लगातार करें। आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच सिरके के साथ मिलाकर दिन में तीन बार पिएं। पांच से दस दिन इसे पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
मुंहासे करे कम: 2 चम्मच नींबू के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाएं। सुबह और रात में चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा में निखार आती है। काले धब्बे कम होते हैं और मुंहासे कम होते हैं। नींबू की जगह एप्पल साइडर वेनेगर भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
खांसी और दमा: खांसी और दमा की शिकायत होने पर छाती और पीठ पर मंगरैला के तेल की मालिश करें। तीन चम्मच मंगरैला का तेल रोज पिएं और पानी में तेल डालकर उसका भाप लें।
कोलेस्ट्रॉल लेवल: डायबिटीज के मरीजों को दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। क्योंकि डायबिटीज होने पर हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है और बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है। ऐसे में दिल से जुड़े रोगों का खतरा बढ़ जाता है। कलौंजी में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता।
सूजन से लड़ता है: हाइपरग्लाइकेमिया या बढ़ा हुआ रक्त का स्तर भी शरीर में बढ़ी हुई सूजन के जुड़ा हुआ है। इसलिए टाइप -2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में सूजन की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है। अपने दैनिक आहार में कलौंजी तेल या कलौंजी को शामिल करने से शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
सोंठ के फायदे

सोंठ के फायदे
सूखी अदरक के पीसे हुए पाउडर को सोंठ कहते हैं। सोंठ की तासीर भी अदरक की ही तरह गर्म होती है। जिसकी वजह से उसकी बेहद ही कम मात्रा में सेवन करना सबसे फायदेमंद होता है। सोंठ के फायदे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किये जाते हैं। सोंठ का उपयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। यह दर्द से राहत दिलाने के साथ ही सर्दी को ठीक करने, पेट के संक्रमण का इलाज करने और वजन घटाने में मदद करती है।
अदरक हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। लेकिन हर मौसम में और हर जगह पर इसकी उपलब्धता होना संभव नहीं है। इसलिए अदरक को विशेष परिस्थितियों में सुखा कर उपयोग के लिए तैयार किया जाता है। इस सूखी हुई अदरक को ही सोंठ कहते हैं। इसे आप सूखे पाउडर के रूप में उपयोग कर सकते हैं। सोंठ पाउडर का रंग धूमिल सफेद होता है। इसे स्टोर करना बहुत ही आसान होता है क्योंकि इसकी शेल्फ लाइफ लगभग 1 वर्ष की होती है।
सोंठ के औषधीय गुण
जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।
सिरदर्द, माइग्रेन, गर्दन और शरीर का दर्द होने पर सूखी अदरक और पानी का लेप बनाकर लगाने से आराम मिलता है। इसे सूंघने से छींक आने पर भी सिर दर्द को आराम पहुंचाता है।
सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भिगोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।
अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है।
यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।
सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।
जी मचलाने, ठण्ड में पसीना आने, चक्कर आने और उल्टी आने जैसी समस्याओं को कम करने में यह बेहद फायदेमंद है। यह गर्भवती महिलाओं की समस्याओं को कुछ हद तक कम करने में सहायक है।
अदरक पसीने को बढ़ाता है जो शरीर के तापमान को कम कर सकता है। यह प्रक्रिया जुखाम और बुखार के उपचार में सहायक हो सकेगा। यह शरीर के विषाक्तों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
सोंठ नीम के पत्ते या निंबोली पीसकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गोलियां बना लें। गोली को मामूली गर्म कर आंखों पर बांधने से आंखों की पीड़ा कम होती है।
यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है।
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