सप्तशती का सार मंत्र

 

सप्तशती का सार मंत्र

ॐ ॐ

सप्तशती का सार मंत्र

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=YOGURU=

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सप्तशती का सार मंत्र-
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सप्तशती का सार मंत्र
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सप्तशती का सार मंत्र
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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे. ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः, ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा..

इस सिद्ध मंत्र को आप सप्तशती का सार मंत्र कह सकते हैं. सप्तशती के अन्य मंत्रों यथा कवच, कीलक, अर्गला आदि मंत्रों की अपेक्षा अकेले इसी मन्त्र का नियमित 108 बार जाप करने से आपको महान सिद्धि प्राप्त हो जाती है.

यदि इस मंत्र को वास्तविक रूप में सिद्ध करना है तो इसके स्थापना मंत्र की जागृति के पश्चात निश्चित आसन पर समाधि की अवस्था में बैठकर अनवरत रूप से इसका एक लाख इक्यावन हज़ार बार जप आवश्यक है.

ध्यान रहे कि मंत्र जाप के दौरान आप कातर भाव से प्रार्थनारत रहें और अगाध निष्ठा के साथ तेज स्वर में उच्चारण करें. उच्चारण पूर्णरूप से सही होना चाहिए और किसी भी रूप में ध्यान भंग नहीं होना चाहिए.

।। ॐ तत् सत् ॐ ।।

समाप्त

सब प्रकार के कल्याण के लिये

“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

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