रसोई की दिशा और वास्तुअनुसार

 

रसोई व आपका स्वास्थ्य

वास्तुअनुसार रसोई की दिशा और


आपका स्वास्थ्य


जब भी घर के निर्माण की बात आती है तो कई लोग कहते है की उनके घर की रसोई बेहतरीन ही नहीं बल्कि इतनी शानदार हो कि आप ही नहीं बल्कि देखने वाले भी देखते रह जाय लेकिन वास्तु अनुसार यदि यही रसोई उचित दिशा और वास्तु नियमों के अनुसार नहीं बनी हो तो आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकती है आइये जानते है उत्तम स्वास्थ्य के लिए वास्तु अनुसार रसोई कैसी होनी चाहिए.

किचन उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम जोन्स में होने पर स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है.


रसोई बनाने के लिए घर की दक्षिण-पूर्वी दिशा का उपयोग करेंअगर वहां इसे बनाना संभव नहीं है तो उसे केवल उत्तर-पश्चिम भाग में ही बनाना चाहिए.


वास्तुअनुसार हमेशा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई के दरवाज़े बनायें।


रसोई में डाइनिंग टेबल रखने से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर आप वहां खाने की मेज रखते हैं तो उसे उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में जगह दें।


किचन में सिंक के लिए सबसे उचित दिशा उत्तर-पूर्व है।


वास्तुशास्त्र के अनुसार रसोईघर में इस्तेमाल होने वाला गैस चूल्हा या स्टोव का मुंह अगर उत्तर दिशा में होगा तो वहां कार्य करने वाली महिला बार-बार बीमार पड़ती रहेगी।


गैस स्टोव का मुंह पूर्व दिशा में होना लाभकारी होता है। यदि स्त्री दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन बनाती है, तो इससे उसका मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।


पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।


रसोई में यदि शीशा लगा हुआ हो, तो इससे महिला को सिर, कमर, पेट संबंधी रोग होते रहते हैं।

मुख्यद्वार व आपका स्वास्थ्य

वास्तुअनुसार घर का मुख्यद्वार और


आपका स्वास्थ्य


वास्तु शास्त्र में घर या ऑफिस के मुख्य द्वार को सबसे अहम् माना गया है. यदि यह सही दिशा में ना हो तो उस घर में रहने वाले लोगो के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है. आइये जानते है स्वास्थ्य की दृस्टि से घर का मुख्यद्वार कैसा होना चाहिए.

दक्षिण दिशा पर मुख्य द्वार होने से घर की स्त्रियों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता.


यदि घर का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में हो और उत्तर दिशा की हद तक निर्माण किया गया हो और दक्षिण दिशा का स्थान खाली हो तो यह उस घर की स्त्री के स्वास्थ्य पर नकारातमक असर डालता है .


वास्तुशास्त्र अनुसार गर्भवती महिलाओं को दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है.


मुख्य द्वार यदि दक्षिण दिशा का है तो लगातार आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है,


दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार बनाने से बचना चाहिए . इस दिशा में प्रवेश द्वार होने का मतलब है परेशानियों को आमंत्रण देना।


यदि आप के घर का में गेट दक्षिण दिशा की ओर हैं तो जितना सम्भव हो उसे बंद रखें, जिससे की आपके घर से आपको बाहर की सडक न दिखाई दें. ऐसा करने से आपके घर के व्यक्तियों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहेगा.


पूर्व में कूड़ादान या स्टोर रूम का होना स्वास्थ्य की दृस्टि से शुभ नहीं मना जाता है.


वास्तु अनुसार पूर्व दिशा में बनी दीवार यदि बाकी दीवारों से ऊंची होती है तो घर में रहने वालों का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होता.


घर का मेनगेट दक्षिण-पश्चिम दिशा में वाले कोने में नहीं होना चाहिए। इससे वहां रहने वाले लोगों की सेहत में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

सोने की दिशा व आपका स्वास्थ्य

वास्तुअनुसार सोने की दिशा और


आपका स्वास्थ्य


हमारा स्वास्थ्य काफी कुछ हमारे सोने की अवस्था पर भी निर्भर करता हैं. वास्तुअनुसार सोने की दिशा और तरीको को लेकर कुछ वास्तु नियम बताये गए है चलिए जानते है बेहतर स्वास्थ्य के लिए वास्तुअनुसार सोने की सही और उत्तम दिशा कौन सी है.

यदि आप अपना सिर दक्षिण दिशा की ओर करके सोते हैं तो आपका स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहेगा.


यदि आपको पित्त की शिकायत हैं तो आप अपने दाहिने हाथ की ओर करवट लेकर सो सकते हैं


यदि आपको कफ की शिकायत रहती हैं तो वास्तुशास्त्र के अनुरूप आपको बाई और करवट लेकर सोना चाहिए.


दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर सोने या द्वार होने से मानसिक तनाव, अशांत चित्त, समस्या होती है.


वायव्य कोण यानि की उत्तर-पश्चिम दिशा में लगातार सोने से मन अशांत होता है.


वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोना बेहतर माना जाता है दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार चुंबकीय धारा प्रवाहित होती रहती है. जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है. ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है.

पानी का स्थान व आपका स्वास्थ्य

वास्तुअनुसार पानी का स्थान और


आपका स्वास्थ्य


वास्तुशास्त्र अनुसार सही दिशा में जल रखने जल से मिलने वाली ऊर्जा जीवन में ऐश्वर्य प्रदान करती है हमारे जीवन में पानी का बहुत अधिक महत्व है यदि घर में पानी का स्थान और दिशा उचित ना हो तो ये आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है आइये जानते है उत्तम स्वास्थ्य के लिए घर में पानी की उचित दिशा कौन सी है.

घर के मध्य भाग जिसे ब्रह्म स्थान भी कहा जाता है में भूमिगत जल स्रोत एवं अग्नि की स्थापना से अनिद्रा, मानसिक रोग होते हैं।


दक्षिण दिशा में भूमिगत जलस्रोत होने से स्त्री रोग, मानसिक कष्ट होते है.


पानी का बर्तन रसोई के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखें। घर में पानी सही स्थान पर और सही दिशा में रखने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।


उत्तर पूर्व दिशा को भी पानी की टंकी रखने के लिए उचित स्थान नहीं माना गया है। इस दिशा में पानी की टंकी रखने से मानसिक तनाव बढ़ता है


वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि जिस घर का पानी पूर्व दिशा की ओर से बाहर निकलता है, उस घर के सदस्यों की सेहत हमेशा अच्छी रहती है|


जिस घर का पानी पूरब की ओर से बाहर बह जाता है तो वह स्वास्थ्यवर्धक एवं घर के पुरुषों के लिए शुभ होता है।


छत पर पानी का टैंक दक्षिण पश्चिम यानी नैऋत्य कोण में लगाने से अन्य भागों की अपेक्षा यह भाग ऊंचा और भारी हो जाता है। इसलिए उन्नति और समृद्घि के लिए दक्षिण पश्चिक दिशा में पानी का टैंक लगाना चाहिए।

शौचालय की दिशा व आपका स्वास्थ्य

वास्तुअनुसार घर में बना टॉयलेट और


आपका स्वास्थ्य


आजकल घरों में जगह का अभाव होने के कारण बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना बहुत सामान्य बात है। वास्तुशास्त्र अनुसार ऐसा होना सही नहीं है। वास्तु अनुसार यदि घर का शौचालय उचित स्थान पर ना हो तो ये आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.

वास्तु अनुसार टॉयलेट का पूर्व, उत्तर-पूर्व, या उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में होना स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का एक कारण हो सकता है.


घर की उत्तर-पूर्व दिशा में में डस्टबिन, टॉयलेट, गोदाम नहीं होने चाहिए।


किसी भी भवन में टॉयलेट ईशान कोण को छोड़कर कहीं भी बनाया जा सकता है।


ईशान कोण में टॉइलट बनाने से स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां और आर्थिक कष्ट होने की संभावना रहती है।


2-3 दिन में कम से कम एक बार पूरा बाथरूम अच्छी तरह साफ करना चाहिए। बाथरूम यदि एकदम साफ रहेगा तो इसका शुभ असर आपके स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर भी पड़ेगा।


यदि बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे हमेशा बंद रखना चाहिए। बाथरूम के दरवाजे पर पर्दा लगा सकते हैं। बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जा का परस्पर आदान-प्रदान हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।


वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बनाया गया शौचालय काफी लाभकारी है। इस दिशा बना शौचालय व्यक्ति की चिंता को कम करता है।


दक्षिण-पूर्व जोन में शौचालय आत्मविश्वास, शारीरिक मजबूती में कमी का कारण बनता है।


उत्तर-पूर्व दिशा में बना शौचालय रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना देता है। इस दिशा में बने शौचालय का प्रयोग करने वाले लोग मौसमी बीमारियों की वजह से लगातार बीमार पड़ते हैं।


घर के पूर्व, उत्तर-पूर्व जोन में बना शौचालय व्यक्ति को थकान और भारीपन महसूस कराता है। व्यक्ति को कब्ज की शिकायत रहती है.


घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी निर्माण या फिर शौचालय बनाने से अनिद्रा, मानसिक रोग, तनाव, चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं होने लगती है.


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