मुख्यद्वार का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
मुख्यद्वार
हर इंसान के लिए उसका ऑफिस या दुकान काफी महत्वपूर्ण होता है। यह एक ऐसा स्थान होता है, जहां वह अपनी जिंदगी का एक बड़ा समय व्यतीत करता है। मानव शरीर की पांचों ज्ञानेन्द्रियों में से जो महत्ता हमारे मुख की है, वही महत्ता किसी भी भवन के मुख्य प्रवेश द्वार की होती है। ऐसे में दुकान और दफ्तरों का मुख्यद्वार अहम माना जाता है। आइये जानते है वास्तुअनुसार दुकान का मुख्यद्वार किस दिशा और कैसा होना चाहिए.
वास्तु अनुसार किसी भी बिजनेस प्रतिष्ठान और दुकान का मुंह किस तरफ हो यह सबसे महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है की पूर्व मुखी दुकान सबसे उत्तम मानी गई है।
दुकान का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना शुभ नहीं माना जाता है इसमें अधिक धनलाभ नहीं हो पाता है.
वास्तुअनुसार उत्तरमुखी दुकानें धनलाभ और समृद्धि की दृस्टि से सबसे अच्छी मानी गयी है.
दक्षिण मुखी दुकानें वास्तु की दृस्टि से उचित नहीं मानी जाती है.
दुकान या शोरूम का मुख पूर्व या उत्तर दिशा
की ओर होना चाहिए।
आकार का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
आकार
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व बताया गया है फिर चाहे वो घर के संदर्भ में हो ऑफिस या फिर दूकान के| दूकान या व्यापार वो जगह या स्थान है जहाँ पर आप अपने पेशे और व्यापार के लिए काम करते हैं. ये एक ऐसा स्थान है जहाँ पर धन सृजन के साथ-साथ प्रतिष्ठा और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति भी की जाती है. ऐसे में इसका आकार ख़ास महत्व रखता है आइये जानते है वास्तु अनुसार दूकान का आकार कैसा होना चाहिए.
चारों कोनो से समान वर्गाकार तथा आयताकार दुकानें वास्तु के अनुसार शुभ मानी गयी है.
सभी कोनो की अलग-अलग लंबाई-चौड़ाई या किसी कोने का अधिक निकला होना शुभ नहीं होता क्योकि ऐसी दुकाने मालिक मानसिक परेशानी का कारण बन सकती है.
वास्तुअनुसार जो दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान आगे की ओर कम चौड़ी और पीछे की ओर ज्यादा चौड़ी होती है तो इसे गौमुखी दुकान कहा जाता है। वास्तु की दृस्टि से ऐसी दुकाने ठीक नहीं मानी जाती है क्योकि इनमें धन की आवक कम रहती है।
जो दुकान आगे की ओर अधिक चौड़ी और पीछे कम चौड़ी होती है उसे सिंहमुखी दुकान कहा जाता है। ऐसी दुकाने बिजनेस की दृस्टि से लाभकारी होती है और खूब
धनलाभ कराती है.
बैठने की दिशा का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान मालिक के
किसी भी दुकान या बिज़नेस में मालिक के बैठने का स्थान यदि वास्तु अनुसार हो तो यह निश्चित ही लाभ कराने वाला हो सकता है. दुकान अगर वास्तु के अनुरूप नहीं होती तो बहुत सी समस्या लाती है। चलिए जानते है वास्तु अनुसार दुकान के मालिक के बैठने का सही स्थान कौन सा होता है.
यदि दुकान का मालिक केबिन बनाकर बैठा हो तो उसका केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए.
दुकान में मालिक का कमरा सबसे पहले नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यह सही नहीं माना जाता है।
दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है।
दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों का पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।
दूकान के मालिक के बैठने की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए।
काउंटर का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
काउंटर
वास्तुशास्त्र में ये बेहद अहम् माना गया है की दुकान में काउंटर का मुँह किस दिशा की ओर होना चाहिए जिससे की आपको लक्ष्मी की आवत बनी रहे और आपके व्यापार में दिनों दिन बढ़ोत्तरी हो. तो चलिए जानते है दुकान के काउंटर से जुड़े कुछ जरूरी वास्तु टिप्स|
दुकान के मालिक या सेल्समैन का मुंह दुकान या कमर्शियल ऑफिस में बैठते समय पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
यदि काउंटर या मालिक के बैठने की सीट दक्षिण या पश्चिम मुखी है तो कई तरह की परेशानियां बनी रहेंगी। बिजनेस में सफलता मिलने में भी संदेह रहेगा।
आकार का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
आकार
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व बताया गया है फिर चाहे वो घर के संदर्भ में हो ऑफिस या फिर दूकान के| दूकान या व्यापार वो जगह या स्थान है जहाँ पर आप अपने पेशे और व्यापार के लिए काम करते हैं. ये एक ऐसा स्थान है जहाँ पर धन सृजन के साथ-साथ प्रतिष्ठा और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति भी की जाती है. ऐसे में इसका आकार ख़ास महत्व रखता है आइये जानते है वास्तु अनुसार दूकान का आकार कैसा होना चाहिए.
चारों कोनो से समान वर्गाकार तथा आयताकार दुकानें वास्तु के अनुसार शुभ मानी गयी है.
सभी कोनो की अलग-अलग लंबाई-चौड़ाई या किसी कोने का अधिक निकला होना शुभ नहीं होता क्योकि ऐसी दुकाने मालिक मानसिक परेशानी का कारण बन सकती है.
वास्तुअनुसार जो दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान आगे की ओर कम चौड़ी और पीछे की ओर ज्यादा चौड़ी होती है तो इसे गौमुखी दुकान कहा जाता है। वास्तु की दृस्टि से ऐसी दुकाने ठीक नहीं मानी जाती है क्योकि इनमें धन की आवक कम रहती है।
जो दुकान आगे की ओर अधिक चौड़ी और पीछे कम चौड़ी होती है उसे सिंहमुखी दुकान कहा जाता है। ऐसी दुकाने बिजनेस की दृस्टि से लाभकारी होती है और खूब
धनलाभ कराती है.
यदि दुकान किसी मार्केट में है और दक्षिण मुखी है और दुकान के सामने की लाइन में भी दुकानें हैं तो ऐसी दक्षिण मुखी दुकानें खराब नहीं
मानी जाती है।
बैठने की दिशा का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान मालिक के
बैठने का स्थान
किसी भी दुकान या बिज़नेस में मालिक के बैठने का स्थान यदि वास्तु अनुसार हो तो यह निश्चित ही लाभ कराने वाला हो सकता है. दुकान अगर वास्तु के अनुरूप नहीं होती तो बहुत सी समस्या लाती है। चलिए जानते है वास्तु अनुसार दुकान के मालिक के बैठने का सही स्थान कौन सा होता है.
यदि दुकान का मालिक केबिन बनाकर बैठा हो तो उसका केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए.
दुकान में मालिक का कमरा सबसे पहले नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यह सही नहीं माना जाता है।
दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है।
दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों का पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।
दूकान के मालिक के बैठने की जगह के ऊपर कोई बीम
नहीं होना चाहिए।
काउंटर का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
काउंटर
वास्तुशास्त्र में ये बेहद अहम् माना गया है की दुकान में काउंटर का मुँह किस दिशा की ओर होना चाहिए जिससे की आपको लक्ष्मी की आवत बनी रहे और आपके व्यापार में दिनों दिन बढ़ोत्तरी हो. तो चलिए जानते है दुकान के काउंटर से जुड़े कुछ जरूरी वास्तु टिप्स|
दुकान के मालिक या सेल्समैन का मुंह दुकान या कमर्शियल ऑफिस में बैठते समय पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
यदि काउंटर या मालिक के बैठने की सीट दक्षिण या पश्चिम मुखी है तो कई तरह की परेशानियां बनी रहेंगी। बिजनेस में सफलता मिलने में भी संदेह रहेगा।
यदि दुकान किसी मार्केट में है और दक्षिण मुखी है और दुकान के सामने की लाइन में भी दुकानें हैं तो ऐसी दक्षिण मुखी दुकानें खराब नहीं मानी जाती है।
गल्ले का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान का
गल्ला
मकान हो या दूकान सभी जगह पंचतत्त्वों की उपस्थिति होती है। वास्तु अनुसार यही पंचतत्त्वों का वास्तु में विशेष महत्व है। वास्तु अनुसार किसी भी दुकान में गल्ले को काफी महत्व दिया गया है इसीलिए इस गल्ले का उचित दिशा में होना बेहद जरूरी होता है वास्तु में दुकान के गल्ले से जुड़े कुछ खास नियम बताये गए है जिनका यदि पालन किया जाय तो आपको निश्चित ही लाभ प्राप्त हो सकते है.
दुकान के गल्ले व इसके आस पास की जगह को साफ़ सुथरा रखना चाहिए.
गल्ले, तिजोरी, मालिक या मैनेजर की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय में रोड़ा बन सकता है।
दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
दूकान से धन लाभ के लिए तिजोरी / कैश बॉक्स में कुबेर यंत्र या श्रीयंत्र अवश्य रखें तथा नगद पेटी या गल्ला कभी खाली न रखें।
गल्ले या मेज पर पैर रखकर कभी भी नहीं बैठें।
दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो दक्षिण तथा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके दान नहीं दे ऐसा करने से धन की हानि होती है।
पूजा घर में या भगवान की मूर्ति के नीचे तिजोरी-गल्ला या पैसा नहीं रखना चाहिए।
धन के देवता कुबेर का निवास उत्तर दिशा में होता है, इसलिए तिजोरी या धन रखने की अलमारी उत्तर दिशा में रखना शुभ होता है।
अगर उत्तर दिशा में तिजोरी रखना संभव न हो तो इसे पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है।
गल्ले या तिजोरी में कुबेर यंत्र रखना चाहिए, ऐसा करने से बिजनेस में लगातार उन्नति होती है।
तिजोरी को ऐसी जगह रखना चाहिए, जहां हर किसी की नजह उस पर न पड़े। ऐसा होना शुभ नहीं माना जाता।
धनलाभ का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान में
धनलाभ
यदि दुकान में वास्तु दोष होते हैं धन लाभ मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं क्योकि वास्तु दोषों की वजह से नकारात्मकता बढ़ती है। नकारात्मकता का बुरा असर हमारे विचारों पर होता है और हम सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। आइये जानते है दुकान या व्यापार में धनलाभ पाने के लिए कुछ जरूरी वास्तु टिप्स|
वास्तु की दृस्टि से ऐसा माना जाता है की दुकान का हमेशा साफ-सुथरा और आकर्षक होना चाहिए.
काउंटर के दाहिनी ओर या उत्तर-पूर्वी कोने में श्री गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित करे.
दुकान की दीवारों पर शुभ चिन्ह बनाने शुभ माने जाते है जैसे- स्वास्तिक, शुभ-लाभ, रिद्धि-सिद्धि आदि. दुकान के उत्तर-पूर्वी दिशा को जहाँ तक हो सके खाली रखना चाहिए.
अगर व्यापार में लाभ नहीं मिल पा रहा है तो दुकान की उत्तर दिशा में कुबेर देव की फोटो लगाएं। कुबेर देव धन के देवता हैं और इनकी दिशा उत्तर ही है। इस कारण दुकान की उत्तर दिशा में कुबरे की फोटो लगाने से धन संबंधी कामों में आ रही रुकावटें दूर हो सकती हैं।
तिजोरी के दरवाजे पर कमल के आसन पर बैठी हुई महालक्ष्मी की तस्वीर भी लगा दें क्योंकि ऐसा करना बहुत ही शुभ होता है।
पानी का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान में
पानी का स्थान
वास्तुशास्त्र एक ऐसी प्राचीन विधा है जिसका महत्व वर्तमान में बहुत अधिक बढ़ गया है। आजकल हर व्यक्ति अपने घर और अपने कामकाज से जुड़े स्थान को वास्तु के अनुकूल बनाता है ताकि उन्हें बेहतर परिणाम मिल सके। ऐसे में अगर दुकान में पानी की व्यवस्था उचित दिशा में हो तो कई गुना लाभ प्राप्त किया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं दुकान में पानी की दिशा के वास्तुशास्त्र के नियम|
वास्तु अनुसार दुकान में पीने के पानी की व्यवस्था उत्तर, ईशान कोण या पूर्व में करनी चाहिए ऐसा करने से दुकान में माँ लक्ष्मी जी निवास करती है और धनलाभ होता है.
दुकान में पानी की व्यवस्था उत्तर दिशा में हो तो कर्ज से छुटकारा मिलने लगता है.
दुकान में पानी का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में होना भी शुभ माना जाता है इससे व्यपार में वृद्धि होती है और कर्ज से भी घुटकारा मिलता है। दु
कान में पीने के पानी का स्थान अगर ईशान कोण या पूर्व दिशा में हो तो ये धनलाभ कराने वाला होता है.
रंग का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान में
रंग
वास्तु शास्त्र जितना विस्तृत है उतना ही फायदेमंद भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपकी दूकान या शोरूम की आंतरिक और बाह्य व्यवस्था होती है तब अवश्य ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। यदि आप आपके व्यवसाय में तरक्की चाहते है तो व्यवसाय के लिए कौन से रंग उपयुक्त रहेंगे ये जानना बेहद जरूरी है|
दुकान की दीवारों पर गहरे रंग जैसे हरे, नीले, काले का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इनकी जगह हल्के रंग जैसे सफेद, क्रीम, पीला का प्रयोग करना बेहतर रहता है। इससे ऑफिस की नैगेटिव एनर्जी खत्म होती है और पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है।
यदि आपकी ज्वैलरी की दुकान है, तो आपको अपनी दुकान में गुलाबी, सफेद या आसमानी कलर लाभ करा सकता है.
अगर आपका किराना व्यवसाय है तो आपके लिए अपनी दुकान में हल्का गुलाबी, आसमानी तथा सफेद रंग करवाना शुभ रहेगा।
वास्तु अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप में सफेद, गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग करवाना चाहिए।
ब्यूटी पार्लर में सफेद अथवा आसमानी रंग करवाना शुभ रहता है।
लाइब्रेरी या स्टेशनरी शॉप में पीला, आसमानी अथवा गुलाबी कलर करवाना अच्छा रहेगा।
अगर आपकी गिफ्ट शॉप या जनरल स्टोर है तो उसके लिए हल्का गुलाबी, सफेद, पीला या नीला रंग वास्तु अनुसार लकी माने गए है ।
रेडिमेड गारमेंट या अन्य किसी प्रकार के वस्त्रों की दुकान में हरा, हल्का पीला या आसमानी रंग करवाना चाहिए।
मेडिकल, क्लिनिक या अन्य कोई चिकित्सा से संबंधित संस्थान हो तो उसके लिए गुलाबी, आसमानी अथवा सफेद रंग शुभ रहता है।
सामान का वास्तु

वास्तुअनुसार दुकान में सामान
रखने का स्थान
वास्तु अनुसार ऐसा माना जाता है की अगर दुकान में कोई वस्तु गलत जगह पर रखी है तो उससे नकारात्मक एनर्जी बढ़ती है और वहां के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए दिशाओं और वस्तुओं का ध्यान रखा जाए तो घर-दुकान का वातावरण हमेशा अच्छा बना रहता है।
दुकान या ऑफिस में ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व को बिल्कुल खाली रखें। इस दिशा में मंदिर बनवाना फायदेमंद साबित होता है।
दुकान में भारी सामान या जूते-चप्पल को उत्तर-पूर्व दिशा में न रखें, इससे व्यापार में नुकसान हो सकता है।
ऑफिस या दुकान के पूर्वी हिस्से में लकड़ी का फर्नीचर या लकड़ी से बनी वस्तुएं जैसे अलमारी, शो पीस, पेड़-पौधे या लकड़ी के फ्रेम से जड़े हुए फोटो लगाएं व्यपार की वृद्धि के लिए यह शुभ माना जाता है।
दुकान का सामान रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अलमारी, शो-केस और फर्नीचर को दक्षिण पश्चिम यानी नैऋत्य कोण में लगाना चाहिए।
दुकान के ईशान कोण को खाली और साफ़ रखे.
भारी सामान ईशान कोण में न रखे
कार्टन आदि दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
पानी का पात्र ईशान कोण में रखना चाहिए.
माल का स्टॉक पश्चिम दक्षिण या नेऋत्य कोण में रखना चाहिए.
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