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गुलाब के औषधीय गुण

गुलाब के औषधीय गुण
गुलाब के फूल सबको सुंदर और आकर्षक लगते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ़ सजावट तक ही सीमित नहीं है। गुलाब एक अच्छी जड़ी-बूटी भी है। गुलाब के फूल, गुलाब के फल, गुलाब जल और गुलाब के तेल से कई तरह की बीमारियों में आराम मिलता है। उदाहरण के लिए गुलाब का तेल चोट लगने पर ख़ून को रोकने में कारगर है। आज हम आपको गुलाब के औषधीय गुण और उपयोग बताने वाले हैं, जिनसे आपको बहुत लाभ होगा।
गुलाब के फूल के फायदे
होंठों का कालापन- गुलाब की कुछ पंखुड़ियां पीसकर समान मात्रा में मलाई मिलाकर होंठों पर नियमित लगाना चाहिए। इससे होंठों का कालापन दूर होता है।
मुंह के छाले- गुलाब के फूल की पंखुड़ियां चबाने या उन्हें उबालकर बनाए गए काढ़े से गरारा करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। रात भर पानी में सूखे गुलाब को पानी में भिगो कर रखें। सुबह से मसलकर पानी छान लें। इसमें 2 चम्मच चीनी मिलाकर पिएं। इससे पेट की गर्मी दूर हो जाएगी। जिससे छाले स्वत: समाप्त हो जाएंगे।
पेट के रोग- गुलाब के औषधीय गुण पेट के विकार मिटाते हैं। गुलाब के फूल का रस, सौंफ का रस और पुदीने का रस मिलाकर रख लें। इसकी 4 बूंद पानी में मिलाकर पीने से पेट के रोग समाप्त होते हैं। भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकंद 2 बार खाएं, पेट के रोग से बचे रहेंगे।
शीतपित्त- गुलाब के फूल का रस और चंदन का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर शीतपित्त पर लगाने से लाभ होता है। इसके अलावा आप 25 ग्राम गुलाब जल में 25 ग्राम सिरका मिलाकर शरीर की मालिश करें, शीतपित्त ठीक हो जाएगी।
सिर दर्द- 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियां 2 इलायची के साथ चबाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
पायरिया- गुलाब का फूल चबाने से मसूढ़े मजबूत होते हैं। मसूढ़ों से खून और मवाद आना बंद हो जाता है। मुंह की बदबू भी चली जाती है। इस तरह पायरिया का उपचार होता है।
कब्ज़- गुलाब का रस पीने सए कब्ज़ दूर हो जाती है। यह आंतों में जमे हुए मल को बाहर निकाल देता है।
गेंदे के औषधीय गुण

गेंदे के औषधीय गुण
गेंदे का फूल देखने में बहुत खूबसूरत लगता है तथा इसकी खुसबू भी बहुत अच्छी होती है। गेंदे के फूल को पूजा करते समय भगवान पर भी अर्पित किया जाता है। इसके अलावा यह फूल औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसलिए इसे त्वचा के उपचार में उपयोग किया जाता है। गेंदे में कई प्रकार के तत्व जैसे कैरोटीनॉयड, ग्लाइकोसाइड, गंध तेल, फैवानॉयड एवं स्टेरोल्स होते हैं जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। गेंदे के फूल में घाव भरने की क्षमता के साथ दर्द दूर करने के गुण भी होते हैं। आइये जानते हैं इस लेख के माध्यम से गेंदे के फूल के औषधीय गुण की जानकारी-
गेंदे के फूल के फायदे
घावों को भरता हैं- गेंदे के फूलों में मौजूद गंध तेल, आर्गेनिक एसिड व स्टेरोल्स घावों को भरते हैं। अगर काम करते वक्त आपका हाथ कट जाए या जल जाए तब गेंदे के फूलों से बनी क्रीम को लगाने से आपको आराम मिलेगा। यह क्रीम घाव के भरने की गति को बढ़ाती है।
रंगरूप को निखारें- गेंदे के फूलों से बनने वाले तेल से चेहरे की मालिश करने पर रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। यह प्रक्रिया सामान्य चयापचय के द्वारा उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। माना जाता है कि नियमित रुप से गेंदे के तेल का उपयोग चेहरे के रंग को निखारने में मदद करता है तथा त्वचा की चमक को बरकरार रखता है।
मुंहासों के इलाज में मददगार- मृत त्वचा कोशिकाओं के कारण या ऑपन पोर्स में जमने वाले तेल के कारण आपके चेहरे पर मुंहासे हो सकते हैं। मुंहासों के स्थान पर जलन या दर्द महसूस होना स्वाभाविक है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप गेंदे के फूलों से बनने वाले उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
झुर्रियों को घटाते हैं- बढ़ती उम्र के साथ आंखों के आस-पास नजर आने वाली झुर्रियां व फाइन लाइन्स को दूर भगाने में गेंदे के फूल बहुत लाभदायक रहे हैं। गेंदे के फूलों में मौजूद फाइटोकोंस्टिट्यूएंट्स एजिंग की प्रक्रिया को धीमा करते हैं तथा ऊतकों के पुनर्जनन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन झुर्रियों से निजात पाने में गेंदे का तेल आपकी मदद करेगा।
अन्य तरीका- इसके अलावा आप एक कांच की शीशी में जैतून के तेल के साथ गेंदे की कुछ सूखी पंखडि़यों को डालकर इसे 10 दिनों के लिए धूप में रखें। अब इस तेल को छानकर, इस्तेमाल के लिए फिर से कांच की शीशी में डालकर रखें। इस तेल का इस्तेमाल लगभग एक साल के लिए किया जा सकता है।
तुलसी के पौधे के औषधीय गुण

तुलसी के पौधे के औषधीय गुण
आइए जानते हैं तुलसी के उपयोग और फायदे क्या है। हमारी भारतीय संस्कृति में तुलसी का विशेष महत्व है। यह पौधा मन और तन दोनो को स्वच्छ रखता है। यह हमारे लिए सिर्फ़ आस्था का प्रतीक ही नही है बल्कि स्वास्थ्य का खज़ाना भी है। लेकिन धार्मिक महत्व के अलावा तुलसी को एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. सर्दी-खांसी से लेकर कई बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है तुलसी.
आयुर्वेद में तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय गुणों का एक विशेष स्थान है. तुलसी को संजीवनी बूटी के समान भी माना जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है. तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना अलग महत्व है. आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है, एक जिसकी पत्तियों का रंग थोड़ा गहरा होता है और दूसरा, जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है. तुलसी शरीर का शोधन करने के साथ-साथ वातावरण का भी शोधन करती है तथा पर्यावरण संतुलित करने में भी मदद करती है.
तुलसी के उपयोग और फायदे
लीवर संबंधी समस्या- इसकी 10-12 पत्तियां गुनगुने पानी से धोकर रोज सुबह खाने से लिवर की समस्याओं में बहुत फ़ायदा होता है।
पेट दर्द में- एक चम्मच तुलसी की पत्तियों को पानी के साथ मिला कर गाढ़ा पेस्ट बना ले और नाभि व पेट के आस-पास इस लेप को लगा दे, आराम मिलेगा।
दिल को मजबूत बनाती है तुलसी- तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम को पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं. तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में पीसकर 5-7 दिन रोज़ सुबह ख़ाली पेट खाने से हाई ब्लड प्रेशर ठीक हो जाता है.
पाचन समस्या- गैस (कब्ज) की समस्या होने पर 200 मि० ली० पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियों को डालकर उबालें और काढ़ा बना ले फिर उस काढ़े में चुटकी भर सेंधा नमक मिला के पी ले।
बुखार आने पर- दो कप पानी में एक चम्मच तुलसी के पत्तों का चूर्ण और एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर उबालें और काढ़ा बना ले और दिन में 2-3 बार पिएं। पानी एक कप रह जायें तब तक उबालें। स्वाद के लिए आप चाहें तो दूध और चीनी भी मिला सकते है।
सर्दी खांसी- इसकी पत्तियां कफ को साफ करने मे सहायक है। इसकी पत्तियों को थोड़ी-थोड़ी देर में अदरक के साथ चबाने से सर्दी-खांसी में राहत मिलती है।
सांस संबधी समस्या- शहद, अदरक और तुलसी के पत्तों को एक गिलास पानी में उबाल कर काढ़ा बना के पिएं। इस काढ़े से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है।
हृदय रोग- ऐसे रोगियों को इसका सेवन नित्य करना चाहिए, क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाती है।
कान में दर्द- इसके पत्तों को सरसों के तेल में भून ले और लहसुन का रस मिला कर थोड़ा ठंडा कर के कान में 2-3 बूँद डालें, दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
आंखों के रोगों के लिए रामबाण औषधि है तुलसी- श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक हो जाती है. आंखों का पीलापन ठीक होता है. आंखों की लाली दूर करता है. तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रौशनी बढ़ती है.
चक्कर आने पर- शहद में इसकी पत्तियों का रस मिला कर चाटने से चक्कर आने बंद हो जाते है।
रूप संवारे- तुलसी और नींबू के रस को बराबर मात्रा में मिला कर लेप बना लें और चेहरे पर लगाए, इससे झाइयां व फुंसियां भी ठीक होती है साथ ही चेहरे की रंगत भी बढ़ती है।
आंवले के औषधीय गुण

आंवले के औषधीय गुण
आंवला विटामिन सी का मुख्य स्त्रोत है। इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आंवले का सेवन आचार, आंवले का मुरब्बा, जूस और चूर्ण के रुप में किया जा सकता है। ये तो हम सभी जानते हैं कि आंवला त्वचा और बाल दोनों के लिए ही बहुत फायदेमंद होता है लेकिन इसके औषधिय गुण हमें कई बीमारियों से भी बचाते हैं। आइए आंवला के सेवन से सेहत को होने वाले फायदें के बारे में जानते हैं। आंवला को त्रिदोषनाशक भी कहा जाता है। यह फल हमें प्रकर्ति की गोद से एक तोहफे के रूप में प्राप्त होता है जो हमे रोग मुक्त बनता है। चलिए जानते हैं आंवला के औषधीय गुड़ क्या क्या हैं और यह कैसे हमें रोगो से बचता है।
आंवले के फायदे
दिमाग तेज करने के लिए- आंवला एकमात्र ऐसा फल है जिसमे विटामिन और खनिजों का भण्डार होता है। यह फल हमारे मष्तिष्क और स्वास्थय दोनों के लिए बहुत अहम भूमिका निभाता है। आवला खाने से हमारा दिमाग तेज होता है साथ ही हमारी याददाश्त भी ताज़ी रहती है। आवला में कई एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो की हमारे मष्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखते हैं। अपने दिमाग को तेज बनाने के लिए इसका कच्चा फल खाना आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
आँखों की नजर बढ़ाने के लिए- आँखे हमे ईश्वर द्वारा दी गयी अनमोल देन है। जीवन के हर पल को अच्छे से जीने के लिए आँखों का स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है। यदि आप आँखों की समस्याओं से परेशान हैं तो आंवले के जूस में शहद मिलाकर पीने से आपकी आँखे रोग मुक्त हो जाती हैं।
बाल झड़ने से रोके- बालों की लंबाई एवं घनेपन के लिए आंवला रामबाण साबित होता है। आपने टेलीविज़न पर कई ऐसे शैम्पू एंड कंडीशनर के विज्ञापन देखे होंगे जो की अपने उत्पादों में आंवले के उपयोग का दावा करते हैं। दरअसल आंवले में कई ऐसे पोषक तत्त्व मौजूद रहते हैं जो बालों को घना काला और मजबूत बनाते हैं। इतना ही नहीं यह बालों में होने वाली रुसी रूखापन की समस्या से भी राहत दिलाता है।
त्वचा के लिए- आंवले के औषधीय गुण त्वचा सम्बन्धी बीमारियों को दूर करने के काम आते हैं. आवलें को पीसकर इसका पाउडर बनाकर आप इसे चेहरे पर लगा सकते हैं ऐसा करने से आपकी त्वचा साफ़ हो जाएगी और यदि आपके चेहरे पर कील मुहासे हैं तो आप आंवले के पाउडर में थोड़ा नीम्बू का रस और गुलाब जल की कुछ बूंदे डाले और कुछ दिन तक चेहरे पर लगाते रहें ऐसा करने से आप कुछ दिनों में कील मुहासों से छुटकारा पा सकेंगे। आपको बता दें की आवलें में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होता है जो रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा में निखार लाता है।
करे मोटापा कम- आज के समय में हर व्यक्ति मोटापे से परेशान है। मोटापा कम करने के लिए आप आंवले का उपयोग कर सकते हैं। आंवले का रास आपके शरीर में जमे हुए वसा को कम करता है , जिस वजह से आपका वजन धीरे धीरे घटने लगता है। साथ ही साथ आवला आपके शरीर को ऊर्जा भी देता है।
एलोवेरा के औषधीय गुण

एलोवेरा के औषधीय गुण
एलोवेरा एक पौधे के रूप में उगाया जाता है। यह एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन समय से चलता आ रहा है। एलोवेरा के औषधीय गुण इतने अधिक है की यदि कोई व्यक्ति नित्य नियम से इसका उपयोग करे तो वह स्वस्थ रूप से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।
पहले समय में एलोवेरा का प्रयोग औषधी के रूप में किया जाता था और आज के समय में बहुत सी दवाइयों और औषधियों में इसका उपयोग किया जाता है। एलोवेरा में कुछ ऐसे विटामिन्स और खनिज पदार्थ होते हैं जो हमारे शर्रेर से कई बिमारियों को दूर करने में सक्षम होते हैं। आप सभी को यह भी बता देते हैं की जो लोग एलोवेरा को घर पर नहीं उगा सकते हैं वह लोग इसे आसानी से सस्ते दाम पर बाजार से खरीद सकते हैं तो आइये जानते है एलोवेरा के औषधीय गुणों के बारे में-
एलोवेरा के फायदे
त्वचा रोग के लिए सहायक- एलोवेरा त्वचा संबंधी रोगों का रामबाण इलाज है। एलोवेरा के लाभ इतने अधिक है जिनका व्याख्यान करना बहुत मुश्किल है। एलोवेरा दाग धब्बे झुर्रिया मुहासों निशान इन सभी परेशानियों को दूर करने में सहायक सिद्ध हुवा है। एलोवेरा का जैल त्वचा पर लगाने से त्वचा सम्बन्धित सभी रोगो से जल ही छुटकारा मिल सकता है। एलोवेरा का चेहरे पर उपयोग करने से चेहरे में चमक और ताजगी आती है।
पाचन क्रिया के लिए सहायक- अगर कोई गैस सम्बन्धी या पेट के दर्द संबंधी किसी भी समस्या से परेशान है तो आप हर दिन एलोवेरा का सेवन करें। आपको हर दिन २० ग्राम एलोवेरा को शहद में मिलाकर पीना है। इस उपाय को आप नित्य करेंगे तो आपको कभी भी पेट से सम्बन्धित कोई तकलीफ नहीं होगी।
बालो के लिए सहायक-एलोवेरा बालो के लिए बहुत ही सहायक है। यदि किसी व्यक्ति के बाल तेजी से झाड़ रहे हैं तो एलोवेरा उनके लिए वरदान साबित हो सकता है। बालों के लिए एलोवेरा का प्रयोग प्राचीन समय से किया जा रहा हैं। एलोवेरा में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं जो बालों को झड़ने से रोकने में सहायक होते हैं। ये न सिर्फ आपके बालों को झड़ने से रोकता है बल्कि उन्हें मजबूत चमकदार और नए बालों को उगाने में भी सहयक होता है।
वजन कम करने के लिए- एलोवेरा हमारे शरीर में पाचन शक्ति को बढ़ाता है। हमारे शरीर में वजन बढ़ने के कई कारण होते है परन्तु एलोवेरा में कुछ ऐसे आवश्यक तत्व होते है जो हमारा वजन कम करने में भरत सहायक होते हैं। एलोवेरा के फायदे इतने अधिक है की यदि कोई इसका नित्य नियम से उपयोग करे तो वह अपनी बहुत सी परेशानियों से निजात पा सकता है।
डायबिटीज के लिए सहायक- एलोवेरा का उपयोग डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। डायबिटीज के मरीजों के लिए एलोवेरा एक औषधीय गुण है। एलोवेरा का जूस ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। जिससे डायबिटीज की समस्या कम होने लगती है। और लगातार इस जूस का प्रयोग करने से डायबिटीज की समस्या खत्म हों जाती है।
नीम के औषधीय गुण

नीम के औषधीय गुण
नीम के पेड़ के साथ कई प्रकार के औषधीय गुण जुड़े हुए हैं। नीम की छाल, पत्ते, तेल और फल का प्रयोग कई तरह की औषधीय दवाईयों को बनाने में किया जाता है। नीम के औषधीय गुणों की वजह से ही इस पेड़ को आयुर्वेद में बेहद ही गुणकारी माना गया है। नीम का पेड़ भारत के हर राज्य में पाया जाता है और नीम का प्रयोग करके कई प्रकार के रोगों को सही किया जाता सकता है। तो आइए जानते हैं नीम के औषधीय गुणों के बारे में-
नीम के पेड़ के बेमिसाल फायदे
रक्त को करे शुद्ध- रक्त यानी खुन को शुद्ध करने में नीम काफी सहायक साबित होता है। खून शुद्ध ना होने से चेहरे पर मुंहास हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों का खून साफ नहीं है वो लोग नीम के पत्तों को खाया करें या नीम के पत्तों का रस पीया करें। नीम के पत्तों का रस पीने से एक हफ्ते के अंदर ही खून एकदम शुद्ध हो जाएगा और आपको मुंहासों से निजात मिल जाएगी। नीम का रस या जूस निकालने के लिए आप कुछ नीम के पत्तों को लेकर उन्हें अच्छे से पीस लें फिर इनमें पानी मिलाकर, इस पानी को छान लें। इस तरह से नीम का जूस बनकर तैयार हो जाएगा। आप हफ्ते में चार दिन इस जूस का सेवन करें।
खुजली से मिले आराम- खुजली होने पर आप नीम के पानी से स्नान कर लें। नीम के पानी से नहाने से खुजली की समस्या से राहत मिल जाएगी। आप कुछ नीम की पत्तियों को लेकर उन्हें पानी में डालकर कर पानी को अच्छे से उबाल लें। फिर आप इस पानी से नीम की पत्तियों को निकाल दें और इस पानी को नहाने वाले पानी में मिला दें। रोज इस पानी से नहाने से आपको कई तरह के चर्म रोगों से भी निजात मिल जाएगी।
मसूड़ों को बनाएं मजबूत- नीम के पत्ते और इसके तने से दातुन करना काफी लाभदायक होता है। नीम का प्रयोग कई तरह के टूथपेस्ट को बनाने में भी किया जाता है। दरअसल इसमें मौजूद औषधीय गुण मसूड़ों और दांतों को मजबूत बनाए रखते हैं। इसलिए जिन लोगों के मसूड़ों में दर्द रहता है या मुंह से बदबू आती है वो लोग नीम से दातून किया करें।
चेहरे को चमकाएं- चेहरे पर कील मुहांसे होने पर आप नीम का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगा लें। नीम का पेस्ट चेहरे पर लगाने से कील मुहांसे एकदम सही हो जाएंगे। नीम के पेस्ट के अलावा नीम के तेल से चेहरे की मालिश करना भी लाभदायक होता है।
रूसी को करे गायब- नीम के औषधीय गुण बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं और नीम के पानी से बाल धोने से रूसी की समस्या एकदम सही हो जाती है। नीम का पेस्ट बालों पर लगाने से बालों में चमक भी आ जाती है और बाल मजबूत बने रहते हैं।
विषैले कीड़ों का असर करे खत्म- अगर आपको कोई कीड़ा काट ले तो कुछ नीम के पत्तों को लेकर उन्हें अच्छे से पीस लें और फिर इस लेप को उस स्थान पर लगा लें जहां पर कीड़े ने आपको काटा है। ऐसा करने से आपके शरीर में जहर नहीं फैल पाएगा।
सूजन करे कम- पैरों या हाथों में सूजन आने पर आप नीम के तेल से मालिश करें। नीम के तेल में मौजूद औषधीय गुण सूजन को तुरंत कम कर देते हैं। आप बस सूजन होने पर दिन में तीन बार हल्के हाथों से नीम के तेल की मालिश करें।
पेट के कीड़े करे खत्म- पेट में कीड़े होने पर आप नीम के पाउडर का सेवन पानी के साथ करें। नीम का पाउडर खाने से पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे और आपको कीड़ों की समस्या से निजात मिल जाएगी। नीम के औषधीय गुणों की वजह से ही कई कंपनियों द्वारा नीम का प्रयोग साबून, शैंपू और इत्यादि चीजों को बनाने में किया जाता है। इतना ही नहीं कई कंपनियों द्वारा तो नीम का जूस और इसका पाउडर भी बेचा जाता है। इसलिए आपको आसानी से नीम का जूस या नीम का पाउडर दुकानों में मिल जाएगा।
केले की जड़ के औषधीय गुण

केले की जड़ के औषधीय गुण
केले की जड़ के फायदे प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग आयुर्वेद में कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि इन जड़ों में राइजोम होते है। केला की जड़ खाने के फायदे जानना आपके लिए एक नई कहानी की तरह हो सकता है, क्योंकि अब तक आप सिर्फ केले के फायदों के बारे में ही जानते थे। लेकिन आपको केले की जड़ का उपयोग जानकर हैरानी हो सकती है। केले के पेड़ से उपयोगी फल केला प्राप्त किया जाता है, लेकिन जड़ इस पेड़ का दूसरा प्रमुख भाग है जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है।
केले की जड़ में बहुत से पोषक तत्व समाहित रहते हैं जो आपके विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, अस्थमा, त्वचा रोग, सर्दी जुकाम आदि को ठीक करने के लिए उपयोग किये जा सकते हैं। आज इस लेख में हम केले की जड़ के फायदे और नुकसान के बारे में बात करने वाले हैं। आइए जाने केले की जड़ के पोषक तत्वों के बारे में।
केले की जड़ के फायदे
केले की जड़ के पोषक तत्व- आपके लिए केले की जड़ का उपयोग इस लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व और खनिज पदार्थ होते हैं जो कि अन्य पौधों की जड़ों की अपेक्षा कहीं अधिक हैं। इसमें सेरोटोनिन, टैनिन, डोपामाइन, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, नॉर-एपिनेफ्रीन और हाइड्रोऑक्सीप्टामाइन आदि पोषक तत्व होते हैं जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और हमारी शारीरिक परेशानियों को दूर कर सकते हैं।
केले की जड़ के फायदे- अपने भरपूर पोषक तत्वों की उपस्थिति के कारण यह हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। हालांकि केले की जड़ों पर कोई गहन अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि केले की जड़ें कई बीमारियों के इलाज के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा भी केले की जड़ के अन्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं।
बुखार के लिए- यदि आप सोच रहे हैं कि केले की जड़ बुखार को कैसे ठीक कर सकती है तो यह इसलिए है क्योंकि केले की जड़ में एंटीप्रेट्रिक गुण होते हैं जो शरीर पर शीतलन प्रभाव दे सकता है। केले की जड़ के शीतलन प्रभाव शरीर के उच्च तापमान को कम करने और इससे छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। एंटीप्रेट्रिक शब्द खुद ही एक चिकित्स्कीय शब्द होता है जो रक्त के प्रवाह को तेज करके बुखार से राहत दिलाने में मदद करता है और शरीर की गर्मी को त्वचा छिद्रों से पसीने के माध्यम से बाहर निकाल देता है। इस प्रकार से आप बुखार से राहत पाने के लिए केले की जड़ का उपयोग कर सकते हैं।
सूजन कम करे- आयुर्वेद उपचार में केले की जड़ का उपयोग पुरानी से पुरानी सूजन को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बहुत ही विश्वसनीय और पारंपरिक दवा के रूप में जानी जाती है। यदि आपके गले में सूजन है तो आप इसके उपचार के लिए केले की जड़ को अच्छी तरह से साफ करके इसे पीस लें और बने हुए पेस्ट को निचोड़कर इसका रस निकाल लें। आप केले की जड़ से बने इस जूस में थोड़ा सा पानी मिलाएं और इस मिश्रण से गरारे करें। ऐसा आप दिन में 3-4 बार करें जब तक की आपकी सूजन कम न हो जाए।
मस्तिष्क के लिए लाभकारी- आप अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने और मस्तिष्क की नसों की सूजन को दूर करने के लिए केले की जड़ का उपयोग कर सकते हैं। मस्तिष्क की नसों में सूजन आना आपके जीवन के लिए घातक हो सकता है। आप इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए केले की जड़ का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप केले की जड़ की लगभग 200 ग्राम मात्रा लें और इसे साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। इस जड़ को ग्लाइंडर की सहायता से पानी मिलाकर इसका जूस तैयार करें और इसका नियमित सेवन करें। यह आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
आंखों के लिए- आप अपनी आंखों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए केले की जड़ का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि केले की जड़ों में विटामिन ए अच्छी मात्रा में उपस्थित होता है। हालांकि केले की जड़ के फायदे, गाजर के फायदे के बराबर नहीं होते हैं। लेकिन केले की जड़ का सेवन कर हम अपने शरीर के लिए आवश्यक विटामिन ए की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। जो कि हमारे शरीर के विकास और आंखों को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करते हैं।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए- एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर की अच्छी मात्रा होने के कारण केले के फूलों का उपयोग खाने के लिए किया जा सकता है। इसके फूलों में स्टेम की तरह ही बहुत सारे फाइबर होते हैं। लेकिन जब भी आप केले के फूलों का उपयोग खाने के लिए करें तो ध्यान रखें कि इसके छोट-छोटे पीले फूलों का उपयोग न करें बल्कि इन फूलों के ऊपर का आवरण जो कि भूरे और बैंगनी रंग के होते हैं उनका उपयोग करें। इनको अच्छी तरह से बारीक काटें ताकि इनमें उपस्थित अतिरिक्त फाइबर निकल जाएं जिन्हें आप हाथों से हटा सकते हैं। आप इन कटे हुए फूलों के आवरण को नारियल और अन्य मसालों के साथ मिला कर स्टेम की तरह ही फ्राई कर सकते हैं। यह आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
पुदीने के औषधीय गुण

पुदीने के औषधीय गुण
हरे हरे ख़ुशबूदार पुदीने में कई औषधीय गुणों के ख़जाने छिपे हुए हैं। अंग्रेजी में मिंट के नाम से जाना जाने वाला पुदीना न केवल एक एंटीबायोटिक तत्व है बल्कि एक अच्छा माउथफ़्रेशनर भी है। इसके सेवन से हम लू से भी बचे रहते हैं। यह पाचन क्रिया को ठीक रखता है और अगर किसी को लगातार हिचकी आ रही हो तो उसे थोड़ा सा पुदीना का रस पिला दें, तो उसकी हिचकी आनी बंद हो जायेगी। तो है न यह गुणों का खज़ाना। आज हम आप सबको पुदीने के कुछ ऐसे ही लाजवाब गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं .
पुदीने के फायदे
माउथफ़्रेशनर- यह एक अच्छा माउथफ़्रेशनर है। अगर मुंह में बदबू आ रही हो तो पुदीने का सेवन करने से बदबू चली जायेगी। इससे मुंह में ठंडक व ताज़गी का भी एहसास बना रहता है।
घाव ठीक करने वाला- किसी भी घाव को भरने के लिए पुदीने के रस को उस घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है और उससे बदबू भी नहीं आती है।
ज्वर में लाभकारी- ज्वर में पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर इसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से राहत मिलती है।
पेटदर्द से आराम- पेट दर्द होने पर पुदीने में जीरा, हींग, काली मिर्च व नमक को मिलाकर पीस लें और इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट का दर्द गायब हो जाता है।
गर्मी में ताज़गी- ताज़ा हरा पुदीना पीसकर चेहरे पर बीस मिनट तक लगा लें। फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें। इससे गर्मी में त्वचा को बेहद ताज़गी प्राप्त होती है।
मुहांसों का इलाज- हरे हरे पुदीने को पीसकर इसमें नींबू के रस की दो-तीन बूंद मिलाकर चेहरे पर इस पेस्ट को लगाने से मुहांसे दूर हो जाएंगे तथा चेहरे की त्वचा भी दमक उठती है।
लू रक्षक- गर्मी में लू लगने के के बाद पुदीने के रस का सेवन करना चाहिए। लू लगने पर रोगी को पुदीने का रस और प्याज का रस देने से फ़ायदा होता है।
गुलहड़ के औषधीय गुण

गुलहड़ के औषधीय गुण
गुड़हल के फूल के बारे में कौन नहीं जानता। गुड़हल का फूल माँ काली को चढ़ाया जाता है यह गांव के लगभग हर घर और आँगन में देखने को मिल जाता है यह फूल केवल चढ़ाने के काम ही नहीं बल्कि कई रोगो के उपचार के लिए भी अपनाया जाता है। यह अनेक औषधीय गुणों से भरा होता है। आपको बता दें की गुड़हल का फूल कई रंगो का होता है। लाल गुलाबी गुड़हल तो आपको कही भी देखने मिल जाएंगे। गुड़हल का फूल बालों के लिए फायदेमंद होता है और चेहरे पर मुहासों की समस्या इन सभी में यह अत्यंत लाभकारी है। तो आइये जानते हैं इसके औषधीय गुणों के बारे में-
गुलहड़ के फूल के फायदे
कोलेस्ट्रॉल- एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में गुड़हल की पत्ती से बानी चाय कारगार है। इसमें ऐसे तत्वा पाए जाते हैं जो आर्टरी में प्लेग को जमने से रोकते हैं। जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इसके फूलों में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल कम करने के साथ ही उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करते हैं। इसके लिए जवाकुसुम के फूलों को पानी में उबालकर पीना चाहिए।
बालों के झड़ने की समस्या- यदि असमय बाल जहद रहें है तो मेथी दाना गुड़हल तथा बेर की पत्तियां पीसकर पेस्ट बना लें और बालों पर लगाएं। इससे बाल स्वस्थ और मजबूत होंगे तथा झड़ना धीरे धीरे कम हो जाएगा।बालों में चमक भी आती है और बाल बढ़ने भी लगते हैं। केवल गुड़हल की पत्तियां भी पीसकर बालों में लगाने से फायदा होता है।
सर्दी खांसी- गुड़हल विटामिन c से भरपूर होता है। इसका सेवन चाय व अन्य रूपों में किये जाने से सर्दी खांसी में तुरंत आराम मिलता है।
खुजली व जलन- गुड़हल का फूल खुजली व जलन में आराम देता है साथ ही सूजन को भी खत्म करने में कारगर है। इसकी पत्तियों को अच्छी तरह पीस लें। यह पेस्ट सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन खत्महो जाती है। जलन वाले स्थान पर लगाने से तुरंत जलन में आराम मिलता है। खुजली धीरे धीरे खत्म हो जाती है।
मधुमेह- गुड़हल की 20-25 पत्तियों का नियमित सेवन माथुमेह को खत्म कर देता है। इसका पौधा हर जगह मिल जाता है। खासकर मंदिरों के आसपास यह जरूर रहता है।
अन्य प्रयोग- गुड़हल की पत्तियों को पीसकर उसमें मधु मिलाकर लगाने से मुहांसे खत्म हो जातें हैं। गुड़हल के पत्तो को चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
आम के पत्तों के औषधीय गुण

आम के पत्तों के औषधीय गुण
फलों के राजा कहे जाने वाले आम के फायदे तो सभी जानते ही हैं, यह एक ऐसा फल है जो हर किसी का मन ललचा सकता है। लेकिन क्या आप आम के पत्तों के फायदे जानते हैं। आम के बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी आपको पता होगें। लेकिन क्या आपने कभी आम की पत्तियों का उपयोग औषधी के रूप में किया है। जिन पत्तियों को आप बेकार समझते हैं उनके बहुत से स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आम के पत्तों के लाभ बहुत से लोगों के लिए अज्ञात हैं, लेकिन इनके स्वास्थ्य लाभों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यह मधुमेह, रक्तचाप और खसरा आदि बीमारियों के उपचार में मदद करते है। इस लेख में आप आम के पत्तों के फायदे और नुकसान की जानकारी प्राप्त करेंगे।
आम के पत्तों के फायदे
आम के पत्तों के पोषक तत्व- इस औषधीय गुणों वाले पेड़ की पत्तियों में विटामिन ए, बी, सी, तांबा, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं। आम के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं क्योकि इन फ्लेवोनॉयड्स और फिनोल की उच्च मात्रा होती है। आम के पत्तों में एंटीमिक्राबियल गुण भी होते हैं जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में मदद कर सकते हैं।
आम के पत्तों के फायदे- पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व होने के कारण आम के पत्ते हमें बहुत से स्वास्थय लाभ प्रदान करते हैं। आम के पत्तों का औषधीय उपयोग कर हम पथरी, कान का दर्द, त्वचा की जलन, पेट की समस्याओं आदि परेशानियों से बच सकते हैं।आइए जाने आम के पत्ते के फायदे जो आपको स्वास्थय लाभ प्राप्त करने में मदद करते हैं।
बुखार के लिए- बुखार के दौरान आपके शरीर के तापमान को कम करने के लिए आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है। रोगी को राहत दिलाने और शरीर के तापमान को कम करने के लिए आम के पत्तों से निकलने वाले रस का सेवन किया जाता है। हालांकि आपको यह पता होना चाहिए कि बुखार आपके शरीर में एक रक्षा तंत्र का काम करता है, जो हमें बहुत सी समस्याओं से बचाता है। आम की पत्तियों का सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं। लेकिन आपको यह सलाह दी जाती है कि इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से इसके कुछ गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं।
शुगर के लिए- डायिबिटिक के लोगों के लिए आम के पत्तों के फायदे बहुत उपयोगी होते हैं। आम के पत्तों में एंथोसाइनिडिन नामक टैनिन होते हैं जो प्रारंभिक मधुमेह के इलाज में मदद करते हैं। आम की सूखी पत्तियों का पाउडर बनाकर या इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है। यह मधुमेह एंजियोपैथी और मधुमेह रेटिनोपैथी के इलाज में भी मदद करता है। इसके लिए आम के सूखे पत्ते या इसके पाउडर को एक कप पानी मे रात भर भीगने दें और अगली सुबह इस पानी को छान कर पीयें। इसका सेवन करने से मधुमेह के लक्षणों से छुटकारा मिल सकता है।
रखे पेट को स्वस्थ- पेट को स्वस्थ रखने के लिए आप आम के पत्तों को उबालें और फिर इसे किसी बर्तन में रात भर के लिए ढ़क कर रख दें। अगली सुबह इस पानी को छाने और खाली पेट इसका सेवन करें। इस पानी का नियमित रूप से सेवन करें। यह आपके पेट के लिए एक टॉनिक का काम करता है और पेट से संबंधित अन्य समस्याओं को भी दूर करता है।
ब्लड प्रेशर को करे कम- उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए आम के पत्ते के फायदे किसी औषधी से कम नहीं हैं। आम के पत्ते रक्तचाप को कम कर सकते हैं क्योंकि इनमें हाइपोटेंसिव के गुण होते हैं। जो रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने और वैरिकाज- वेंस की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है।
पीपल के पेड़ के औषधीय गुण

पीपल के पेड़ के औषधीय गुण
शायद ही कोई इंसान होगा जो पीपल के पेड़ के बारे में नहीं जानता होगा। हाथी इसके पत्तों को बड़े चाव से खाते हैं। इसलिए इसे गजभक्ष्य भी कहते हैं।कई पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में पीपल के पेड़ और इसकी पत्तियों के गुणों के बारे में बताया गया है कि पीपल के प्रयोग से रंग में निखार आता है, घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। कफ दोष, डायबिटीज, सांसों के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, अन्य कई बीमारियों में भी आप पीपल का उपयोग कर सकते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।हम बता रहे हैं, पीपल के पेड़ से होने वाले ऐसे ही कुछ स्वास्थ्य लाभ. आइए जानते हैं, पीपल के पेड़ के बड़े फायदे-
पीपल के पेड़ के फायदे
दांतों के लिए- पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं, और दांतों में दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है. इसके अलावा 10 ग्राम पीपल की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर बनाए गए मंजन का प्रयोग करने से भी दांतों की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं.
त्वचा रोग- त्वचा पर होने वाली समस्याओं जैसे दाद, खाज, खुजली में पीपल के कोमल पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है. इसके अलावा फोड़े-फुंसी जैसी समस्या होने पर पीपल की छाल का घिसकर लगाने से फायदा होता है.
सांस की तकलीफ- सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या में पीपल का पेड़ आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए पीपल के पेड़ की छाल का अंदरूनी हिस्सा निकालकर सुखा लें. सूखे हुए इस भाग का चूर्ण बनाकर खाने से सांस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती है. इसके अलावा इसके पत्तों का दूध में उबालकर पीने से भी दमा में लाभ होता है.
जुकाम- सर्दी-जुकाम जैसी समस्या में भी पीपल लाभदायक होता है. पीपल के पत्तों को छांव में सुखाकर मिश्री के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ होता है. इससे जुकाम जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
त्वचा के लिए- त्वचा का रंग निखारने के लिए भी पीपल की छाल का लेप या इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा यह त्वचा की झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है. पीपल की ताजी जड़ को भिगोकर त्वचा पर इसका लेप करने से झुर्रियां कम होने लगती हैं.
पेट के दर्द में- पीपल के पत्ते के फायदे से पेट के दर्द ठीक होते हैं. पीपल के ढाई पत्तों को पीसकर 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर गोली बना लें। इसे दिन में 3-4 बार खाना चाहिए.
बरगद के पेड़ के औषधीय गुण

बरगद के पेड़ के औषधीय गुण
बरगद के पेड़ को बट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। आपने अपने घरों के आसपास या मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा होगा। महिलएं बट साबित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। क्या आप जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और आप बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल बरगद के बीज, बरगद का दूध भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ के और क्या-क्या लाभ हैं।
बरगद के पेड़ के फायदे
बरगद के पेड़ के पोषक तत्व- पोषक तत्वों से भरपूर बरगद के पेड़ में बी सीटोस्टर, एस्टर, ग्लाइकोसाइड्स, ल्यूकोसाइनिडिन, क्वार्सेटिन, स्टेरोल और फ्राइडेलिन अच्छी मात्रा में मौजूद रहते हैं। इनके अलावा इसमें बर्गप्टन, फ्लेवोनॉयड, गैलेक्टोज, इनोजिटोल, ल्यूकोप्लेयर, रूटीन और टैनिन भी शामिल होते हैं। बरगद के पेड़ में केटोन, पॉलिसाक्राइड और टॉग्लिक एसिड भी मोजूद रहते हैं।
बरगद के पेड़ का महत्व- भारतीय समाज में बरगद के पेड़ को अमरता का वृक्ष कहा जाता है क्योंकि इसके जीवन को बढ़ाने वाली जड़ें बहुत लंबी होती हैं और वे इनकी शाखाओं को भी सहारा देती हैं। इस प्रकार इनकी जड़ें इस वृक्ष का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं। बरगद के पेड़ों का आध्यात्मिक महत्व भी है, ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शाखाओं पर, भगवान विष्णु इस पेड़ की छाल में और ब्रम्हा जी इसकी जड़ों पर निवास करते हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार भगवान बुद्ध को भी इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
बरगद के पेड़ के फायदे- आयुर्वेद में बहुत सी बीमारियों के उपचार के लिए बरगद के पेड़ का उपयोग किया जाता है। इस पेड़ के सभी हिस्सों में औषधीय गुण होते हैं। पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होने के कारण बरगद के पेड़ के फायदे हमें बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। इस लेख के माध्यम से आप बरगद के पेड़ के फायदे और इससे प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानेगें।
दांतों और मसूढ़ों के लिए- दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बनाने के लिए बरगद की जड़ बहुत ही फायदेमंद होती हैं। बरगद की जड़ को चबाने से मसूढ़ों की समस्या, दांत क्षय, मसूढ़ों से रक्तस्राव आदि समस्याओं से छुटाकारा पाया जा सकता है। इसका उपयोग करने से मुंह की बदबू से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इन जड़ों का उपयोग प्राकृतिक टूथ पेस्ट के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। बरगद की जड़ मुंह की समस्याओं को दूर करने का बहुत ही प्रचलित तरीका है क्योकि इसमें जीवाणुरोधी और बंधनकारी गुण मौजूद रहते हैं।
कोलेस्ट्रॉल कम करने में- आपके हृदय स्वास्थय को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारणों में से एक कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा होती है। हमारे शरीर में दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल होते हैं, “अच्छे और बुरे” । बरगद के पेड़ की छाल में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की क्षमता होती है जो कि बरगद के पेड़ के फायदे के रूप में जाना जाता है। बरगद के पेड़ शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। आप अपने दिल को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं तो बरगद के पेड़ के फायदे प्राप्त कर सकते हैं।
मधुमेह के लिए- आधुनिक समय में मधुमेह एक आम बीमारी बन चुकी है। बरगद के पेड़ के फायदे मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। बरगद की जड़ का अर्क बनाकर सेवन करने से शरीर में उच्च शर्करा के स्तर को कम किया जा सकता है। यदि आप इस समस्या से ग्रसित हैं तो बरगद का उपयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
त्वचा के लिए- आप अपने चेहरे की चमक को बढ़ाने के लिए बरगद के फलों का उपयोग कर सकते हैं। आप इन फलों का पेस्ट बना सकते हैं जो श्लेष्म झिल्ली, त्वचा की सूजन और दर्द को दूर करने में सहायक होता है। आप बरगद की पत्तियों का भी उपयोग कर सकते हैं। आप बरगद की 5-6 पत्तियों को लें और इनका पेस्ट बनाकर अपने चेहरे पर लगाएं। यह त्वचा की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
अशोक वृक्ष के औषधीय गुण

अशोक वृक्ष के औषधीय गुण
अशोक मुख्य रूप से वर्षा वाले वनों को पेड़ है और यह सुस्वादित पत्तों और सुंदर नारंगी-पीले फूलों से भरा होता है। फूल के गुच्छे भारी औऱ सुगंधित होते हैं। अशोक का पेट आमतौर पर हिमालय की तलहटी में ज्यादा पाया जाता है। अशोक का पेड़ महिलाओं के लिए वरदान माना जाता है। क्योंकि यह स्त्रियों की कई सारी समस्याओं एवं बीमारियों को ठीक करता है और उन्हें जवान बनाए रखने में भी मदद करता है। स्त्रियों के शरीर में होने वाले दर्द को यह दूर करने में लाभकारी होता है और उन्हें स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इस आर्टिकल में हम आपको अशोक के पेड़ के फायदे के विषय में बताएंगे।
अशोक के पेड़ में बहुत सारे औषधीय गुण मौजूद होते हैं और इसके तने पत्ते और फूलों को कई जगहों पर लोग सुखाकर अपने घरों में रखते है अशोक के पेड़ के बीज फूल और छालों का उपयोग टोनिक और कैप्सूल बनाने में किया जाता है और भारत में कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए अशोक के पेड़ का उपयोग किया जाता है।
अशोक वृक्ष के फायदे
स्किन का रंग साफ करने में- अशोक का पेड प्राकृतिक रूप से त्वचा के रंग को बेहतर करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह खून को प्यूरिफाई करता है और त्वचा के एलर्जी से बचाता है। यह विषाक्त पदार्थों को दूर कर त्वचा के रंग को साफ करने में मदद करता है। अशोक के पेड़ के छाल का अर्क त्वचा के जलन को दूर करने में बहुत लाभप्रद माना जाता है।
दर्द निवारक के रूप में- अशोक के पेड़ में कई तरह के दर्द निवारक गुण पाये जाते हैं और यह सुरक्षित रूप से एनाल्जेसिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अशोक के पेड़ का छाल उतारकर और उसका महीन पेस्ट बनाकर लगाने से घुटनों एवं पैरों के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
त्वचा के लिए- अशोक का उपयोग त्वचा के रंग में सुधार करता है। यह रक्त को शुद्ध रखता है और त्वचा की एलर्जी दूर रखने में मदत करता है। यह रंग को साफ़ करने का काम करता है। इसके अलावा अशोक का उपयोग त्वचा की जलन को भी शांत करने के लोए किया जा सकता है इसके लिए अशोका फूलों और पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें और प्रभावित त्वचा पर रगड़ें।
मधुमेह में- इसके कई बड़े फायदों में एक फायदा यह भी है कि अशोक के सूखे फूलों का इस्तेमाल करने से डायबिटीज को दूर करने में फायदा मिलता है। इसके फूलों की बनी टॉनिक या रेगुलर सूखे फूलों को सेवन करने से मधुमेह रोगियों को इस रोग से राहत मिलती है।
इंफेक्शन दूर करने में- कवकों एवं जीवाणुओं के इंफेक्शन को दूर करने में अशोक के पेड़ की छाल बहुत ही लाभदायक होती है। इसके छाल में बहुत सारे गुण पाये जाते हैं। यह शरीर को प्यूरीफाई करने का काम करता है और शरीर के संक्रमण को भी दूर करता है।
कदम्ब वृक्ष के औषधीय गुण
कदम्ब वृक्ष के औषधीय गुण
कदम्ब वृक्ष इमारती लकड़ी, सजावटी समान, कागज, फूलों से सुगन्धित इत्र, बीज से तेल, गोद इत्यादि रूप में इस्तेमाल से लेकर आर्युवेद में खास औषधि के रूप में इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध है। कदम्ब वृक्ष को अनेका नामें जैसे कदम्बिका, कदम्बिकाए, राजकदम्ब, धूल्किदम्ब इत्यादि कई नामों से पुकारा जाता है। आर्युवेद में कदम्ब पेड़ के फूल, पत्तियां, छाल का उपयोग सैकड़ो तरह के रोग विकारों को नष्ट करने में सक्षम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण कदम्ब बृक्ष के नीचे बांसुरी बनाया करते थे। कदम्ब बृक्ष की पूजी भी जाती है। कदम्ब फल दिखने में गोल, गहरे हरे, गहरे लाल रंग के होते हैं। फूल गुलाबी, गहरे नांरगी एवं गहरे लाल रंग और सुगंधित खुशबूदार फलों के ऊपरी सिरे में लगते हैं। कदम्ब पत्ते गहरे हरे रंग और नींबू, संतरे, महुआ पत्तों की आकृति में होते हैं। कदम्ब स्वाद में थोड़ा तीखा है, परन्तु सैकड़ों औषधीय गुणों से भरपूर है।
कदम्ब वृक्ष के फायदे
बुखार दूर करे- लगातार बुखार रहने पर कदम्ब की 50 ग्राम छाल और 7-8 तुलसी के पत्तों को बारीक पीसकर 1 गिलास पानी में हल्की आंच में आधे से भी कम होने तक उबालें। हल्का ठंड़ा होने पर 2-2 चम्मच तीनों वक्त सेवन करने से हर तरह के बुखार से तुरन्त आराम मिलता है।
पाचन तंत्र ठीक करे- पेट में गैस कब्ज रहने पर और पाचन में गडबड रहने पर कदम्ब के फल का रस सेंधा नमक के साथ मिलाकर 2-2 चम्मच सुबह शाम सेवन करने से समस्या विकारों से छुटकारा मिलता है। कदम्ब पाचन तंत्र दुरूस्त करने में सक्षम है।
घाव, चोट ठीक करे- कदम्ब चोट घाव, दर्द ठीक करने में सहायक है। कदम्ब की पत्तियों छाल को बराबर मात्रा में बारीक पीसकर उबालें। हल्का गुनगुना होने पर कदम्ब पानी औषधि से सेकन करने से घाव, चोट, दर्द से तुरन्त आराम दिलाने में सहायक है।
खाज खुजली दूर करे- शरीर में होने वाली हर तरह की खाज खुजली दूर करने में कदम्ब सहायक है। कदम्ब पत्ते बारीक पीस कर फल के रस साथ ग्रसित जगहों पर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है।
पैरों, हाथों की सूजन, मोच दर्द- हाथों, पैरों की सूजन, मोच दर्द सूजन में कदम्ब के बीज, पत्ते, छाल को बारीक पीसकर उसमें 1 चम्मच नमक मिलाकर उबालें। फिर सूती कपडे में पानी भिगों कर सेकन करने से सूजन दर्द से तुरन्त आराम मिलता है।
बबूल के फायदे स्वास्थ्य लाभ

बबूल के फायदे स्वास्थ्य लाभ
सदियों से भारत और कई देशों में स्वास्थ्य की द्रष्टि से बबूल (कीकर) का देशी चिकित्सा पद्धति में खासा उपयोग किया जाता आ रहा है आज के इस लेख में हम आपको बबूल के फायदे स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताएँगे बबूल के फायदे मॅुह से जुड़े कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने के साथ साथ संम्पूर्ण स्वास्थ के लिये फायदेमंद होते है आइये जानते है कि बबूल के फायदे क्या है। बबूल की पत्तियां गोंद और छाल सभी चीज़ें बड़ी ही काम की होती हैं। आइये जानते है बबूल की पत्ती के फायदे, बबूल की छाल के फायदे और बबूल की गाद के फायदे के बारें में।
बबूल के फायदे
घाव भरने में उपयोगी- बबूल के पत्तियां को घाव भरने में बहुत ही फायदे मंद माना जाता है बबूल के पत्तो का इस्तमाल रक्त रिसाव एवं संक्रमण रोकने में किया जा सकता है बबूल से घावों को ठीक किया जाता है।
दांतों की सुरक्षा के लिये- बबूल की छाल चवाने से मसूडो में आने वाले खून को ठीक किया जा सकता है एवं मसूड़ो केा मजबूत करने में इससे मदद मिलती है इस पाउडर का निर्माण करने के लिए 60 ग्राम बबूल की लकड़ी का कोयला एवं 34 ग्राम भुनी हुई फिटकरी साथ ही 12 ग्राम सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है।
बालों की सुरक्षा के लिए- इसके पत्तो से बालों को काफी फायदा होता है बालों के झड़ने से रोकने के लिए इसके पत्तो का बालों पर पेस्ट लगाएं और अच्छे गुणवत्ता वाले शैम्पू के साथ 30 मिनिट बाद बालो को धो ले एवं हमेशा अपने बालों को धेाने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें।
टॉन्सिल में- टॉन्सिल को ठीक करने में बबूल का उपयोग किया जा सकता है इसके लिए आप बबूल की छाल से गरम काढा बनाये एवं उसमें काला नमक मिला कर गरारा करे इससे आपके टॉन्सिल जल्द ही ठीक हो जाएगे।
पसीना आने से रोकने में- यदि आपके शरीर से बहुत ज्यादा पसीना आता है और आप पोंछ-पोछ कर बेहाल हो रहे है तो बबूल आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है इसके लिए आप बबूल की पत्तियॉ पीसकर पूरे शरीर पर मसलें और कुछ ही देर बाद नहा लें ऐसा करने पर कुछ दिन बाद आपको बहुत पसीना आना बंद हो जाऐगा।
औषधीय गुणों से भरपूर पेड़

औषधीय गुणों से भरपूर पेड़
आदिवासी मान्यताओं के अनुसार संसार में पाए जाने वाले हर एक पेड़-पौधे में कोई ना कोई औषधीय गुण जरूर होता है, ये बात अलग है कि औषधि विज्ञान के अत्याधुनिक हो जाने के बावजूद भी हजारों पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनके औषधीय गुणों की जानकारी किसी को नहीं। सामान्यत: यह मानना है कि छोटी शाक या जड़ी-बूटियों में ही ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं, जबकि ऐसी सोच निर्रथक है, मध्यम आकार के पेड़ और बड़े-बड़े वृक्षों और उनके तमाम अंगों में गजब के औषधीय गुणों की भरमार होती है। इस लेख में हम आपको कुछ जाने पहचाने मध्यम आकार के पेड़ों और वृक्षों से रूबरू कराएंगे और जानेंगे उनके कुछ औषधीय गुणों के बारे में-
5 औषधीय गुणों से भरपूर पेड़
कदम्ब का पेड़- कदम्ब के पत्ते बड़े और मोटे होते हैं और इनसे गोंद निकलता है। इसके फूल छोटे और खुशबूदार होते हैं। कदम्ब के फलों का रस बच्चों में हाजमा ठीक करने के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होता है। और इसकी पत्तियों के रस को अल्सर तथा घाव ठीक करने के काम में प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद इड्रोसिनकोनाइन और कैडेमबाइन नामक दो प्रकार के तत्व टाइप-2 डाइबिटीज के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें से हाइड्रोसिनकोनाइन शरीर में बनने वाली इंसुलिन के उत्पादन को नियंत्रित करता है। और कैडेमबाइन इंसुलिन रीसेप्टर को फिर से इंसुलिन ग्रहण करने के प्रति संवेदनशील बनता है। इसके अलावा इसकी जड़ मूत्र रोगों में लाभकारी होती है और इसकी छाल को घिस कर आंखों के बाहर लगाने से कनजक्टीवाइटिस रोग ठीक हो जाता है।
अशोक का पेड़- अशोक का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका इस्तेमाल कर आप कई प्रकार की बीमारियां से निजात पा सकते हैं। अशोक का रस कसैला, कड़वा, और इसकी प्रकृति ठंडी होती है। यह रंग निखारने वाला और सूजन दूर करने वाला होता है। इसके अलावा यह रक्त विकार, पेट के रोग, बुखार और जोड़ों के दर्द को दूर करने में बहुत लाभकारी होते हैं। अशोक का बीज पत्थरी की समस्या से आराम दिलाता है। अशोक की छाल के काढ़े में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिला कर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ मिलता है। साथ ही अशोक के छाल और ब्राह्मी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला कर एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम एक कप दूध के साथ नियमित रुप से कुछ माह तक लेने से दिमाग तेज होने लगता है।
नीम- भारत में एक कहावत प्रचलित है, जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं वहां बीमारियां और मृत्यु कैसे हो सकती है। भारत में इसके औषधीय गुणों के कारण हजारों वर्षों से इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन, अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। हालांकि नीम स्वभाव से कड़वा जरुर होता है, परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है। तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है, कि एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है। नीम सर्वरोगहारी गुणों से भरपूर होता है। इसका साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कॉस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं, जो दांतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने से रोकते है, जिससे दांत स्वस्थ व मजबूत रहते हैं।
बबूल- बबूल के पत्ते के साथ-साथ इसकी गोंद और छाल भी बहुत फायदेमंद होती है। इसकी गोंद में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम होता है। और बबूल कफ और पित्त का नाश करने वाला होता है। इसके साथ ही बबूल के पेड़ की छाल और पत्तियों में टैनिन और गैलिक नामक एसिड होता है जिसके कारण इसका स्वाद कड़वा हो जाता है। यह जलन को दूर करने वाला, घाव को भरने वाला और रक्तशोधक होता है। इसकी फलियां कच्ची और लाभकारी होती हैं। इसलिए इसकी कच्ची फलियों को तोड़कर छाया में सुखाकर किसी डिब्बे में बंद कर सुरक्षित रखा जा सकता है। फलियां एक साल तक गुणकारी रहती हैं जबकि छाल दो साल तक लाभकारी रहती है।
आंवला- आंवला प्राकृति का ऐसा नायाब तोहफा है जिससे शरीर की कई सारी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। आंवले में आयरन, विटामिन सी और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होने के कारण आंवले का जूस रोजाना लेने से पाचन दुरुस्त, त्वचा में चमक, त्वचा के रोगों में लाभ, बालों की चमक बढाने, बालों को सफेद होने से रोकने के अलावा और भी बहुत सारे फायदे मिलते हैं। आंवले के रस में संतरे के रस की तुलना में 20 गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता। आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है। यदि आपको भी अच्छी सेहत का मालिक बनना है तो आंवला का जूस अभी से ही पीना शुरु कर दें।
सदाबहार पौधे के औषधीय गुण

सदाबहार पौधे के औषधीय गुण
सदाबहार पुष्प को सदाफूली, नयनतारा आदी नामों से भी जाना जाता है। यह फूल सिर्फ दिखने में ही सुन्दर और आकर्षक नहीं, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है। सदाबहार कठिन शीत के कुछ दिनों को छोड़कर के बारहों महीने में खिलता है। इसका फूल तोड़ने के बाद भी पूरा दिन ताजा रहता है। पाँच पंखुड़ियों वाला यह सदाबहार फुल गुलाबी, फालसाई, जामुनी, श्वेत आदि रंगों में खिलता है। सदाबहार का उपयोग खांसी, गले की खराश और फेफड़ों के संक्रमण में उपयोग किया जाता है। इसे मधुमेह के उपचार में उपयोगी पाया गया है क्योंकि इसमें दर्जनों क्षार ऐसे पाए गए हैं जो कि उनसे रक्त शकरा की मात्रा को नियत्रिंत किया जा सकता है। आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है तथा फूलों वाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका है। यह फूल सुंदर तो है ही आसानी से हर मौसम में उगता है।
सदाबहार पौधे के फायदे
मुहांसे- सदाबहार के फूलों और पत्तियों का रस को मुहांसों पर लगाले। इससे कुछ ही दिनों में मुहासों से छुटकारा मिल जायेगा ।
मधुमेह- सदाबहार की तीन से चार पत्तियों को सुबह खाली पेट चूसने से मधुमेह में फायदा मिल जाता है। एक कप गुनगुने पानी मे चार गुलाबी फूलो को भीगा कर रखे। फिर इन फूलों को निकाल लें और सुबह सुबह इस पानी का नियमित सेवन करे। मात्र एक हफ्ते में आपका शुगर लेवल नीचे आना शुरू हो जाएगा। सदाबहार के 2 से 3 पत्तो को हर रोज चबाने से शुगर में काफी कंट्रोल रहता है।
घाव- सदाबहार के पत्तियों का रस घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूख जाता हैं ।
एलर्जी- त्वचा की एलर्जी जैसे की खुजली, लाल निशान आदी हो जाने पर सदाबहार के पत्तियों का रस लगानेसे आराम मिलता है ।
फोड़े फुंसी- त्वचा पर घाव, फोड़े-फुंसी हो जाने पर इसकी पत्तियों के रस को दूध में मिलाकर लगानेसे घाव पक जाता है साथ ही मवाद जल्द ही बाहर निकलता है ।
खाज खुजली- खाज-खुजली होने पर पत्तियों को तोड़ने पर निकलने वाले दूध को लगालें। ऐसा करनेसे जल्द ही आराम मिलेगा ।
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