78.खरबूजा के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

 खरबूजा के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

admin / Aug 15, 2023


परिचय (Introduction)

खरबूजा को लैटिन में कुकमिस मलो के नाम से जाना जाता है। खरबूजा, ककड़ी और फूट सभी एक ही जाति के फल हैं। खरबूजा गर्मी के महीनों में होता है और इसका सेवन करना लाभकारी होता है। खरबूजा मीठा होता है।

खरबूजा और फूट के गुण समान होते हैं। गर्मी के मौसम में ठंडे फलों के रूप में खरबूजे का प्रयोग खाने में अधिक किया जाता है। खरबूजा कच्चा होने पर हरे रंग का होता है और उस पर काली व कत्थई पटि्टयां होती हैं। पकने पर खरबूजा हरा व कुछ पीला हो जाता है और इसके ऊपर वाली पटि्टयां सफेद हो जाती हैं। खरबूजा अन्दर से लाल होता है और इसमें छोटे-छोटे बीज होते हैं। खरबूजे की खेती बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब व राजस्थान में अधिक होती है।

गुण (Property)

यह मन व मस्तिष्क को ठंडा व शांत करने वाला, प्यास को दूर करने वाला, पेशाब लाने वाला, शक्ति देने वाला, कब्ज दूर करने वाला, शीतल, वीर्यवर्धक होता है। यह पागलपन को खत्म करता है, पसीना लाता है, पेशाब साफ करता है, भूख बढ़ाता है एवं पेट की गर्मी व खराबी को दूर करता है। यह गुर्दे के रोग को खत्म करता है, पथरी को गलाता है, जलोदर एवं पीलिया रोग को समाप्त करता है। इसका प्रयोग छाती का दर्द और यकृत की सूजन को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके बीजों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की चमक बढ़ती है। पका हुआ खरबूजा खाने से कब्ज दूर होती है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

खरबूजा अधिक मात्रा में खाने से आंते कमजोर हो जाती है। हैजा फैलने पर इसका सेवन अधिक करने से हैजा की संभावना बढ़ जाती है। गर्म प्रकृति वालों को खरबूजा अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आंखों में दर्द हो सकता हैं।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

पथरी:

  • खरबूजा या फूट की जड़ को ठंडे पानी के साथ पीसकर 7 दिनों तक सुबह के समय पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
  • 1 चम्मच खरबूजे का छीला हुआ बीज, 15 दाने बड़ी इलायची तथा 2 चम्मच मिश्री के साथ पीस लें और इसे 1 कप पानी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीएं। इससे गुर्दे की पथरी गल जाती है।

मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में परेशानी):

खरबूजा या फूट के बीजों को खाने से मूत्रकृच्छ रोग ठीक होता है।

गैस्ट्रिक (अल्सर):

खरबूजे का रस निकालकर खाली पेट पीने से गैस्ट्रिक रोग समाप्त होता है।

कब्ज:

कब्ज से पीड़ित रोगी को पक्का खरबूजा खाना चाहिए। इससे कब्ज नष्ट होती है।

गुर्दे का रोग:

खरबूजे के बीजों को छीलकर पीस लें और पानी में मिलाकर हल्का सा गर्म करके पीएं। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक करने से गुर्दों का रोग ठीक हो जाता है।

जिगर का रोग:

खरबूजा सेवन करने से जिगर की सूजन दूर होती है।

रक्तपित्त:

खरबूजे के बीजों को कूटकर पानी में 12 घंटे तक भिगोएं और फिर इसमें सौंफ की जड़, कासनी की जड़ व मिश्री मिलाकर शर्बत बना लें। इस शर्बत का सेवन करने से रक्तपित्त का रोग ठीक होता है।

आग से जल जाना:

खरबूजे के बीज को पीसकर सिर पर लगाने और शरीर पर मालिश करने से आग की जलन दूर होती है।

सिर का दर्द:

खरबूजे के बीजों को गाय के घी व मिश्री में मिला लें और इसे बर्फी की तरह जमाकर सुबह-शाम लगभग 50-50 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इसके बाद गाय के दूध में गाय का घी मिलाकर पीएं। इससे सिर का दर्द ठीक होता है।

शरीर की कमजोरी:

खरबूजा 250 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से एक किलो पानी का शर्बत बनाकर पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है।

गर्दन में दर्द:

खरबूजे के पत्ते को गर्म करके उस पर थोड़ा सा तेल लगा कर गर्दन पर लपेटकर ऊपर से पट्टी बांधने से गर्दन का दर्द दूर होता है।

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