विष्णु गायत्री मंत्र
विष्णु गायत्री मंत्र
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==================================विष्णु गायत्री मंत्र
==================================धार्मिक नजरिए से गृहस्थ हों या कार्यक्षेत्र सफलता पाने के लिए शांतस्वरूप व जगत के पालनहार भगवान विष्णु की उपासना शुभ फलदायी मानी गई है। क्योंकि भगवान विष्णु जगत पालक पुकारे जाते हैं। भगवान विष्णु से जुड़ा पालनकर्ता का भाव कर्तव्य व कर्म का एहसास कराता है।
दोनों ही भावना सांसारिक जीवन की सफलता के लिए बहुत ही अहम है। व्यावहारिक रूप से भी जिम्मेदारी उठाने और काम को कुशलता से पूरा करने के लिए शांत स्वभाव और संयम जरूरी है।
वर्तमान में जारी चातुर्मास, एकादशी, द्वादशी व पूर्णिमा तिथियों पर भगवान विष्णु की भक्ति, श्रीविष्णु मंत्र ध्यान के जरिए बड़ी मंगलकारी मानी गई है।
विष्णु कृपा के लिए खासतौर पर विष्णु गायत्री मंत्र महामंत्र माना गया है। क्योंकि जगतजननी गायत्री की 24 देवशक्तियों में भगवान विष्णु एक हैं। इसके स्मरण मात्र से सारे कार्य बाधा, दु:ख व संताप दूर हो जाते हैं। जानिए यह विष्णु गायत्री मंत्र और विष्णु पूजा की आसान विधि -
- स्नान के बाद घर के देवालय में पीले या केसरिया वस्त्र पहन श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल स्नान के बाद केसर चंदन, सुगंधित फूल, तुलसी की माला, पीताम्बरी वस्त्र कलेवा, फल चढ़ाकर पूजा करें। भगवान विष्णु को केसरिया भात, खीर या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं।
- धूप व दीप जलाकर पीले आसन पर बैठ तुलसी की माला से नीचे लिखे विष्णु गायत्री मंत्र की 1, 3, 5, 11 माला का पाठ यश, प्रतिष्ठा व उन्नति की कामना से करें -
ऊँ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- पूजा व मंत्र जप के बाद विष्णु धूप, दीप व कर्पूर आरती कर देव स्नान कराया जल यानी चरणामृत व प्रसाद ग्रहण करें।
समाप्त
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
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